फेफड़ों के लिए फायदेमंद है प्राणायाम

By: Jan 18th, 2020 12:20 am

सर्दी में सांस से संबंधित बीमारियों के मरीजों की तकलीफ  बढ़ जाती है। ऐसे में वे नियमित योग से कुछ राहत पा सकते हैं। योग में ब्रीदिंग यानी सांसों का काफी महत्त्व है। असल में इसे सारी एनर्जी का मास्टर कहा जाता है। सांस या प्राण जीवन शक्ति या जीवन की प्राथमिक ऊर्जा है। यह मूल जीवन की वह शक्ति है, जो हमारे समस्त जीवन को नियंत्रित करती है।  योग का अभ्यास फेफड़ों और शरीर को स्वस्थ रखने के सर्वोत्तम तरीकों में शामिल है।

अर्ध मत्स्येंद्रासन

सीने में जकड़न जैसी दिक्कतों को दूर करता है यह प्राणायाम। इस आसन को करने का फायदा यह है कि इससे फेफड़ों को ऊर्जा सही मात्रा में पहुंचती है। इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। साथ ही स्ट्रेस कम करने और पीठ के दर्द को दूर करने में यह आसन मदद करता है।

अर्ध मत्स्येंद्रासन का तरीका

अपने पैरों को बाहर की तरफ  फैलाते हुए सीधा बैठें। अब दाहिने पैर को मोड़ लें। धीरे-धीरे बाएं पैर को दाएं घुटने के पास लेकर जाएं। अपना बायां हाथ पीछे ले जाएं। अब अपने दाएं हाथ की कोहनी का इस्तेमाल करते हुए अपने घुटने को पीछे की तरफ  ले जाएं। दाहिना हाथ भी पीछे की ओर रखें और बाएं हाथ को दाहिने घुटने के ऊपर रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए बाएं कंधे के ऊपर से पीछे की तरफ  देखने की कोशिश करें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और कुछ देर इसी मुद्दा को बनाए रखें।

त्रिकोण आसन

त्रिकोण आसन को फेफड़ों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसे करने से फेफड़ों की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है। त्रिकोण पोज बनाते समय जब हमारा शरीर मुड़ता है, तो शरीर की अंदर तक मसाज हो जाती है। इसे भी स्ट्रेस कम करने वाला बताया गया है।

त्रिकोण आसन करने की विधि

अपने पैरों में 2 फुट का फासला बनाकर सीधा खड़े हो जाएं। अब अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री और बाएं पैर को 15 डिग्री पर रखें। धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी दाहिनी बांह को सिर के ऊपर ले जाएं ताकि आपका हाथ दूसरे कान तक पहुंचे। धीरे से सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को बायीं तरफ झुकाएं। इस दौरान घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। हाथ भी कान से न हटाएं। अंतिम मुद्रा में अपनी दाहिनी बांह जमीन के समानांतर और बायीं बांह बाएं पैर के समानांतर होनी चाहिए।


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