बजट में राहत की तैयारी

By: Jan 20th, 2020 12:06 am

विश्लेषण में मध्यम वर्ग के लिए आयकर कटौती की पूरी उम्मीद

नई दिल्ली –आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाकर वर्ष 2024-25 तक पांच लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले वित्त वर्ष के बजट में लोगों विशेषकर मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर में बड़ी राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहली फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करेंगी। वर्तमान सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था के मद्देनजर इस बजट को लेकर काफी उम्मीदें की जा रही है। विश्लेषक ऐसी उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री कारपोरेट कर में कमी की तर्ज पर आयकर में भी छूट देकर लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ा सकती है। उनका कहना है कि 2.50 लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक के पहले स्लैब पर पांच फीसदी कर बना रह सकता है, लेकिन पांच लाख रुपए से दस लाख रुपए तक की आय पर कर को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जा सकता है। इसी तरह 10 लाख रुपए से 25 लाख रुपए तक की सालाना आय पर कर को भी 30 प्रतिशत से कम कर 20 प्रतिशत किया जा सकता है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने 25 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए तक की आय पर कर को 25 प्रतिशत रखने की वकालत करते हुए कहा है कि एक करोड़ से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर लगाया जाना चाहिए, क्योंकि इतनी आमदनी वाले लोग ज्यादा कर दे सकते हैं। उन्होंने अमीरों पर आयकर पर लगे अधिभार को समाप्त करने की अपील करते हुए कहा है कि सरकार जितना अधिक ऊंची दर से कर वसूलती है, कर संग्रह कम होता है। विश्लेषकों का कहना है कि आवास ऋण पर दो लाख रुपए तक के ब्याज पर कर में अभी छूट का लाभ मिल रहा है। किसी व्यक्ति ने उससे कितना भी अधिक ब्याज चुकाया हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वर्तमान में कोई व्यक्ति अपनी दो संपत्तियों के लिए कर में छूट का दावा कर सकता है, लेकिन इस मामले में भी छूट की अधिकतम सीमा दो लाख रुपए ही हो सकता है, लेकिन सरकार से रियलटी क्षेत्र को सुस्ती से बाहर निकालने के लिए ऐसे लोगों को आनुपातिक आधार पर कर में अधिक छूट दिए जाने की वकालत की है।

प्रत्यक्ष कर संहिता लाए जाने का अनुमान

इस वर्ष के बजट में आयकर कानून के स्थान पर प्रत्यक्ष कर संहिता को लाए जाने का अनुमान भी जताया जा रहा है। इससे जुड़ी समिति ने मध्यम वर्ग के लिए आयकर का बोझ कम करने की सिफारिश की थी। अगर ये सिफारिशें लागू होती हैं, तो मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हो सकता है। समिति की रिपोर्ट के अनुसार कर स्लैब में बदलाव से कुछ वर्षों के लिए, तो राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन लंबे समय में इसका फायदा देखने को मिलेगा।


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