मंत्री डा. सहजल ने किया सीएए का समर्थन

By: Jan 5th, 2020 12:20 am

सोलन – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डा. राजीव सहजल ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में वास्तविक अर्थों में मानवीय दृष्टिकोण का दस्तावेज है और यह अधिनियम भारतीय संस्कृति की संवेदना की अभिव्यक्ति है। डा. सहजल ने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक विद्वेष के कारण अमानवीय यातनाओं की पीड़ा झेल रहे अल्पसंख्यकों की समस्याओं के समाधान के लिए यह अधिनियम दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति, अटूट प्रतिबद्धता, समर्पण और दूरदर्शिता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1950 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच हुए नेहरू-लियाकत समझौते के अनुसार दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि वे अपने-अपने यहां रहने वाले अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेंगे और उन्हें अपने धर्म और सम्मान की रक्षा की पूरी छूट प्रदान करेंगे। भारत इस समझौते पर पूर्ण रूप से कायम रहा, किंतु पाकिस्तान में इस समझौते को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि धर्म के आधार पर स्थापित हमारे तीन मुख्य पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या उतरोत्तर घट रही है। पाकिस्तान में वर्ष 1947 में अल्पसंख्यक जहां 23 प्रतिशत थे, वहीं वर्ष 2011 में ये घटकर मात्र तीन प्रतिशत रह गए हैं। बांग्लादेश में हिंदूओं की जनसंख्या 28 प्रतिशत से घटकर मात्र आठ प्रतिशत रह गई है। ये आंकड़े इन देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति बताने के लिए काफी हैं। अफगानिस्तान में भी कमोबेश यही स्थिति है। उन्होंने कहा कि इन्हीं अमानवीय परिस्थितियों के दृष्टिगत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताडि़त हिंदू, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्मावलंबियों के हितों की रक्षा के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लाया गया है। इस अधिनियम के अनुसार इन देशों के हिंदू, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। 31 दिसंबर, 2014 से पूर्व इन धर्मों के जिन लोगों ने भारत में प्रवेश कर लिया था, वे सभी भारत की नागरिकता के पात्र होंगे। डा. सहजल ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश संवैधानिक मुस्लिम देश हैं और इसी कारण इन देशों के मुसलमानों को अधिनियम में सम्मिलत नहीं किया गया है। उन्होंने विपक्ष पर इस अधिनियम की आड़ में वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देशहित से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और सभी भारतीयों को यह समझना चाहिए कि यह अधिनियम न केवल देशहित में है अपितु भारत की वैश्विक प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हाल ही में सिक्खों के अत्यंत पवित्र स्थल ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुए पथराव और सिक्खों को देश छोड़ने की धमकी दिया जाना यह सिद्ध करता है कि कितने बुरे हालात में इन मुस्लिम बहुल देशों में अन्य धर्मावलंबी जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समूचे विपक्ष को तुच्छ राजनीतिक मानसिकता से ऊपर उठकर परिस्थितियों को देखते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 का पूर्ण समर्थन करना चाहिए। उन्होंने ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए ऐसी घटनाओं पर, तुरंत अंकुश लगाने की मांग की। डा. सहजल ने कहा कि 26 सितंबर, 1947 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक सभा में कहा था कि ‘पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिक्ख हर नजरिए से भारत आ सकते हैं। अगर वे वहां निवास नहीं करना चाहते हैं।


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