मां बालासुदरी गोशाला में गोकाष्ठ मशीन स्थापित

उपायुक्त सिरमौर आरके परुथी ने किया शुभारंभ, वातावरण होगा शुद्ध-निराश्रित पशुओं की समस्या का होगा समाधान

नाहन – जिला सिरमौर को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक ओर महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए उपायुक्त सिरमौर डा. आरके परुथी ने गुरुवार को माता बालासुंदरी गोशाला एवं जैविक प्रशिक्षण केंद्र में गाय के गोबर से काष्ठ बनाने के लिए गोकाष्ठ मशीन स्थापित की है। उन्होंने बताया कि मशीन के प्रयोग से बनने वाली काष्ठ ईंधन का काम करेगी, जो कि ऊर्जा का एक सस्ता साधन है। इसके प्रयोग करने से कार्बन डाईआक्साइड के स्थान पर ऑक्सीजन पैदा होगी, जो कि अपशिष्ट पदार्थ को जैव उत्पाद में बदलने में सहायक होगी और वनों को भी संरक्षण मिलेगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में यह अपनी तरह का पहला प्रयोग है, जिसका उद्देश्य जिला सिरमौर में निराश्रित पशुओं की संख्या को कम करना है और जिला में बनी गोशालाओं को  आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि पशुओं के गोबर से काष्ठ बनाकर कमाई के साधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रयोग जिला सिरमौर के ओद्यौगिक क्षेत्रों में वातावरण को शुद्ध करने के लिए कारगर साबित होगा। उन्होंने बताया कि गोबर की एक काष्ठ की कीमत पांच रुपए निर्धारित की गई है, जो कि एक सप्ताह के बाद माता बालासुंदरी गोशाला में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। इसका इस्तेमाल सभी महत्त्वपूर्ण उद्योगों, मोक्षधाम, ईंट के भट्ठे में ईंधन के रूप में इस्तेमाल की जाएगी। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर से दीये, गमले व हवन सामग्री बनाने की मशीनें भी जल्द स्थापित की जाएगी। सहायक निदेशक पशुपालन डा. नीरू शबनम ने बताया कि चार दिन पुराने 10 किलो गोबर इस्तेमाल से चार काष्ठ बन सकती है, जिसमें एक काष्ठ आकार लगभग 2.5 फुट लंबा व 2.5 ईंच चौड़ा होगा। उन्होंने पशुपालकों से अपील की है कि वह दूध न देने वाले पशुओं को निराश्रित न छोड़े क्योंकि इनके गोबर और गोमूत्र से कई प्रकार के उत्पादों का निर्माण कर आजीविका कमाई जा सकती है। उन्होंने स्वयं सहायता समूह व अन्य संस्थाओं से आग्रह किया है कि यदि वह गो काष्ठ बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं तो वह माता बालासुंदरी गोशाला एवं जैविक प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए संपर्क कर सकते हैं।