माता बगलामुखी मंदिर

By: Jan 25th, 2020 12:21 am

हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्थल होने के कारण ही इसे देवभूमि कहा जाता है। ऐसे तो हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्थल हैं, लेकिन वनखंडी स्थित माता बगलामुखी की अलग ही पहचान है।  माता बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर वनखंडी नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का नाम ‘श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर’ है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। पांडुलिपियों में मां के जिस स्वरूप का वर्णन है, मां उसी स्वरूप में यहां विराजमान हैं। ये पीतवर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं।  बगलामुखी जयंती पर हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, पूजा-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बगलामुखी मंदिर  का इतिहास- कथानुसार माता बगलामुखी की उत्पत्ति सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा द्वारा हुई है। कहा जाता है कि एक राक्षस ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ छीन लिया और पानी में जाकर छिप गया। राक्षस को वरदान था कि उसे कोई भी मानव या भगवान पानी के अंदर नहीं मार सकता। उस राक्षस के वध के लिए ब्रह्मा ने माता बगलामुखी को बनाया, जिसने बगला का रूप धारण कर राक्षस को पानी में जाकर मारा तथा गं्रथ वापस ब्रह्मा को लौटाया। भगवान राम ने भी लंका पर विजय पाने से पहले माता बगलामुखी की आराधना की थी। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहां लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्त्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाथ इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्रायः इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे,जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय प्राप्त की थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन पाठ करवाते हैं।                              -सुनील दत्त, जवाली


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