मातृभाषा पंजाबी को पहले दर्ज की मांग

चंडीगढ़-पंजाबी मंच और समूह सहयोगी संगठनों ने फिर रोष धरना देकर ली शपथ

चंडीगढ़  – चंडीगढ़ में मातृभाषा पंजाबी को पहली भाषा का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे चंडीगढ़ पंजाबी मंच और उस के समूह सहयोगी संगठनों ने एक बार फिर सैक्टर 17 के प्लाज़ा में विशाल रोष धरना देकर शपथ ली गई कि जब तक चंडीगढ़ में अंग्रेज़ी की जगह पर पंजाबी को पहली भाषा और सरकारी भाषा का दर्जा हासिल नहीं हो जाता। ऐसा होने तक हम न तो टिक कर बैठेंगे और न ही प्रशासन को टिक कर बैठने देंगे। अलग-अलग वक्तों, मंच के नुमायंदों और ओर पंजाबी सहानुभूति रखने वाला ने अपनीए तकरीरों में एक ही बात का जि़क्त्र साफगोई के साथ किया कि जब तक चंडीगढ़ का प्रशासन, चंडीगढ़ का प्रशासक, चंडीगढ़ की संसद मैंबर और भारत की सरकार पंजाबियों को पंजाब की ही राजधानी चंडीगढ़ में उन का संवैधानिक हक नहीं दे देती और जब तक यह ऐलान नहीं कर देती कि पंजाबी भाषा को यहां की पहली और सरकारी भाषा का दर्जा दे दिया जाताए तब तक हम सभी दम नहीं लेंगे।  चंडीगढ़ पंजाबी मंच के बैनर नीचे इस विशाल सभा में जहां ग्रामीण संघर्ष समिति चंडीगढ़, समूह गुरुद्वारा प्रबंधक संगठन, केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा अलग-अलग विद्यार्थी संगठन, पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़,  ट्रेड यूनियनों और अन्य संगठनों ने हिस्सा लिया। चंडीगढ़ पंजाबी मंच के सरप्रस्त बाबा साधु सिंहए जत्थेदार तारा सिंह, सुखदेव सिंह सिरसा और चेयरमैन सिरीराम अरश जैसी प्रमुख हस्तियों के नेतृत्व में लगे इस विशाल धरने को सफल बनाने के लिए समूह सहयोगी संगठनों ने साथ मंच की मदद की। मंच के प्रधान सुखजीत सिंह सुक्खा और जनरल सैक्त्रेटरी देवी दयाल शर्मा की मेहनत रंग लाई जब बड़ी संख्या में गांवों सेए सेक्टरों में से निकल पंजाबी सहानुभूति रखने वाला जहाँ मातृभाषा के हक में सैक्टर 17 में एकत्रित हुए।