मानदंड पूरे नहीं, कर दिए अरबों के काम

By: Jan 14th, 2020 12:30 am

प्रदेश सहित देश भर के 61 छावनी क्षेत्रों में कई सालों से नहीं बन पाई समितियां, परिषद प्रशासन की चली मनमानी

सोलन- देश की 61 छावनी क्षेत्रों में 13 वर्षों से रक्षा मंत्रालय के मानदंडों को पूरा किए बिना ही अरबों के कार्य कर दिए हैं। छावनी एक्ट-2006 के अनुसार कार्यों को करवाने के लिए कमेटी का गठन होना था, लेकिन इतने वर्षों से छावनी बोर्ड बिना कमेटी बनाए कार्य कर रही थी। इन कमेटियों का गठन छावनी परिषद प्रशासन की मनमानी के चलते नहीं हो पा रहा था। इस पर संज्ञान लेते हुए रक्षा मंत्रालय द्वारा तीन महीने में कमेटियों का गठन करने को कहा है और कमेटियां बनाने के बाद इसकी रिपोर्ट भी रक्षा मंत्रालय को भेजने के लिए कहा है। कमेटियों का गठन करने का मुख्य कारण छावनी बोर्ड द्वारा किए जाने वाले कार्यों में पारदर्शिता और विकास कार्यों पर खर्च होने वाले बजट बारे जानकारी लोगों तक पहुंचे, इसके लिए किया गया है। बताया जा रहा है कि शुरुआत में छावनी क्षेत्र में सिविल एरिया, वित्त, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी कमेटियों का गठन करेगी। वहीं प्रदेश की छह छावनियों सहित देश भर की छावनियों में गठन नहीं हुआ। इसके लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा सख्ती दिखाते हुए तीन महीने में यह सब पूरा करने के लिए कहा है। इस कमेटी को छावनी क्लास के अनुसार विभाजित किया गया है। इन कमेटियों में छावनी क्लास एक, दो व तीन में अध्यक्ष व छावनी बोर्ड का उपाध्यक्ष होगा, जबकि तीन चुने हुए मेंबर व दो नॉमिनेटिड मेंबर होंगे, जो कि सरकार द्वारा चुने जाएंगे। हालांकि सिविल एरिया की कमेटी में अध्यक्ष ब्रिगेडियर व उपाध्यक्ष मेंबर में होंगे। साथ ही दो जेई रैंक के अधिकारी होंगे। इन सभी कमेटियों का सदस्य सचिव छावनी बोर्ड का सीईओ होगा।

कमेटी बनने से काम में आएगी पारदर्शिता

हिमाचल छावनी वेलफेयर के अध्यक्ष राज कुमार सिंगला, उपाध्यक्ष मनीष शर्मा, महासचिव मनमोहन व सलाहकार सुभाष शर्मा ने कहा कि छावनी परिषद प्रशासन की मनमानी के चलते कमेटियों का गठन नहीं हुआ है। अब रक्षा मंत्रालय सख्त हो गया है और तीन महीने में कमेटी का गठन करने को कहा है, ताकि किए जाने वाले कार्यों में पारदर्शिता आ सके और लोगों को हर जानकारी मिल सके।

ये हैं कमेटी के काम

सिविल एरिया कमेटी का मुख्य कार्य टाउन एंड प्लानिंग के नियमानुसार कार्यों को करवाना और बोर्ड को इस बारे अवगत करवाना है। शिक्षा एवं पर्यावरण कमेटी का मुख्य कार्य केंद्र व सरकार की शिक्षा, पर्यावरण की नीतियों को लोगों तक पहुंचाना तथा इसके लिए बजट का प्रावधान करना है। स्वास्थ्य कमेटी बनाने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार करते हुए बजट का प्रावधान करना है, जबकि वित्त कमेटी का इन सब कार्यों को करवाने का अहम रोल है। किस प्रकार से बजट को पेश करना है, इसके लिए वित्त कमेटी आगे रहेगी।


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