मैटाबॉलिज्म को नियंत्रित करेगा गोलो डाइट

By: Jan 25th, 2020 12:19 am

डाइटिंग के नाम पर फिलहाल आपने वेगन और कीटो डाइट के बारे में सुना होगा। मगर आज हम आपको गोलो डाइट के बारे में बता रहे हैं। शारीरिक ही नहीं, बल्कि दिमाग के लिए भी गोलो डाइट काफी फायदेमंद है। गोलो डाइट में कैलोरी को नियंत्रित करके शरीर के मैटाबॉलिज्म को बेहतर किया जाता है। गोलो डाइट में इंसुलिन और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखकर आपकी भूख, वजन और मैटाबॉलिज्म को मैनेज किया जाता है…

लोग बढ़ते वजन को नियंत्रण में रखने के लिए डाइटिंग का सहारा लेते हैं। डाइटिंग के नाम पर फिलहाल आपने वेगन और कीटो डाइट के बारे में सुना होगा। मगर आज हम आपको गोलो डाइट के बारे में बता रहे हैं। शारीरिक ही नहीं, बल्कि दिमाग के लिए भी गोलो डाइट काफी फायदेमंद है। गोलो डाइट में कैलोरी को नियंत्रित करके शरीर के मैटाबॉलिज्म को बेहतर किया जाता है।

गोलो डाइट का शरीर पर प्रभावः

गोलो डाइट में इंसुलिन और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखकर आपकी भूख, वजन और मैटाबॉलिज्म को मैनेज किया जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए, तो जब इंसुलिन आपकी कोशिकाओं को ऊर्जा देने का काम नहीं कर रही होती हैं, तब चीनी आपके रक्त में ही रहती है और इसकी वजह से बॉडी में एक्स्ट्रा फैट इकट्ठा हो जाता है। इस डाइट के तहत खून में शर्करा और इंसुलिन के  लेवल को सही रखने पर जोर दिया जाता है। इस  तरह आप शरीर की ऊर्जा का सही ढंग से उपयोग  कर सकेंगे। 

क्या है गोलो डाइट – गोलो डाइट अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों का मिश्रण है। इसमें मीट, सब्जियां और उन फलों को शामिल किया जाता है, जो आसानी से मिल जाते हैं। इस डाइट के तहत आपको प्रोटीन, कार्ब्स, फैट का कॉम्बो लेना होगा।आपको ऐसी डाइट बनानी होगी, जो आपके शुगर को स्थिर रखे और आपकी भूख भी शांत करे। उदाहरण के लिए आप सुबह नाश्ते में दो अंडे (प्रोटीन के दो यूनिट), एक टोस्ट (कार्ब का एक यूनिट), मक्खन (फैट का एक यूनिट) और एक मौसमी फल (कार्ब का दूसरा यूनिट) खा सकते हैं।

गोलो डाइट में क्या-क्या कर सकते हैं शामिल– गोलो डाइट के तहत आपको प्रोटीन, कार्ब्स, स्वस्थ वसा और सब्जियां आदि शामिल करनी चाहिए। आप पैकेड फूड, चीनी, अन्य तरह की मीठी चीजें, प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। खाने में चिकन, सी फूड, डेयरी, नट, बीज, अंडे, दाल, हरी फलियां आसानी से मिलने वाली हरी सब्जियों की अलग-अलग वैरायटी को शामिल करें। आप स्टार्च के लिए आलू, पत्तेदार साग और हर दिन एक फल को भी अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं और स्वस्थ रह सकते हैं।

शतावरी के गुण

इसे शतावर, शतावरी, सतावरी और सतमूल के नाम से भी जाना जाता है। इस का पौधा अनेक शाखाओं से युक्त कांटेदार लता के रूप में एक मीटर से दो मीटर तक लंबा होता है। इस की जड़ें गुच्छों के रूप में होती हैं। इसकी जड़ का चूर्ण औषधीय प्रयोग में आता है। इस का वोटेनिकल नाम एसपेरेगस रेसमोसुस है। इस में शतावरीन जैसे कई तत्त्व पाए जाते हैं, जिनमें कार्बोहाइड्रेट फैट व प्रोटीन, विटामिन थायमीन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी- 6, विटामिन सी, कैलशियम आयरन मैगनीशियम जस्त व मैगनीज पाए जाते हैं। शतावरी चूर्ण निम्न रोगों में प्रयोग किया जाता है।

पौष्टिक

कई तरह के विटामिन व मिनरल होने से यह पोष्टिक है। यह बच्चों के भार को बढ़ाता है और इस का चूर्ण हर आयु में टॉनिक का काम करता है। पाचन तंत्र में इस का चूर्ण पाचन को ठीक करता है। एसिडिटी को दूर करता है। एसिडिटी की वजह से पेट में अल्सर हो,तो उसे भी ठीक करता है। रोग-प्रतिरोधी क्षमतावर्धक शतावरी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है व प्लेटलेट सैल को भी बढ़ाती है। स्तन्यवर्धक यह दूध पिलाने वाली माता के स्तनों में दूध को बढ़ाती है।  दिल के रोग में शतावरी एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है। बुरे कोलोस्ट्रॉल एल डी एल व वी एल डी एल तथा ट्राईग्लिसराइड को कम करती है तथा अच्छे कोलेस्ट्रॉल एच डी एल को बढ़ाती है। मूत्र रोग में मूत्र वाहिनी संक्रमण को दूर करती है इसमें रक्त को रोकती है तथा पेशाव को साफ  करती है। कामोत्तेजक इस का पाउडर कामोत्तेजक का काम करता है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता इसलिए इसे किसी भी आयु में पुरुष व स्त्री दोनों ले सकते हैं।

 


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