मौत के बाद भी जिंदा रहेंगे नालागढ़ के ज्ञान चंद

सड़क हादसे में घोषित हो चुके थे ब्रेन डेड, परिजनों ने दान कर दिए गुर्दे और आंखें

चंडीगढ़ – नालागढ़ क्षेत्र के रहने वाले ज्ञान चंद जाते-जाते दो किडनी मरीजों को नया जीवन और दो को आंखें दे गए। उनके यह अंग पीजीआई में प्रत्यारोपित किए गए हैं। मृतक के परिजनों के इस फैसल से चार लोगों को जिंदगी जीने की राह आसान हो गई है। जानकारी के अनुसार नालागढ़ के गुलगीवाला निवासी 42 वर्षीय ज्ञान चंद तीन जनवरी को अपने किसी कार्य को लेकर स्कूटर पर खिन जा रहे थे। इस दौरान किसी वाहन ने उन्हें टक्क्रर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल अवस्था में उन्हें नालागढ़ के स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डाक्टरों ने उनकी गंभीर अवस्था को देखते हुए उसे चार जनवरी को पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया। यहां डाक्टरों ने उन्हें दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया। इसी बीच पीजीआई के अंग प्रत्यारोपण विभाग के नोडल अधिकारी डाक्टर विपिन कौशल ने बताया कि  उनके विभाग की ओर से ज्ञान चंद के परिजनों से अंगदान करने को लेकर काउंसिलिंग की गई। इस पर परिजनों ने हामी भर दी।

उन्होंने बताया कि ज्ञान चंद

किडनियां दो रोगियों को प्रत्यारोपित की गईं, जबकि दो कॉर्नियल नेत्रहीन को आंखे दी गईं।  ज्ञान चंद के भाई नरेंद्र पाल ने बताया कि परिवार ने फैसला लिया था कि ज्ञान चंद के अंगों से किसी ओर जीवनदान मिल सकता है, तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।

पति की मौत से सदमा पर अंगदान की खुशी भी

स्वर्गीय ज्ञान चंद की पत्नी सुरिंदर कौर ने कहा कि पति की मौत से वह सदमें में हैं। वह तीन बेटियां और एक बेटा छोड़ गए हैं, जिनके पालन-पोषण का डर उन्हें सताने लगा, लेकिन इस बात खुशी है कि उनके पति के अंगों से किसी को जीवन दान मिला है।