यक्ष जाति को वैदिक साहित्य में ब्रह्मा शब्द लिखा गया है
हिमाचली संस्कृति भाग-4
किन्नर और किरात जाति के बाद एक और जाति का नाम आता है। यह जाति यक्ष नाम से जानी जाती है। वैदिक साहित्य में इसे ‘ब्रह्मा’ शब्द लिखा गया है। जबकि परवर्ती साहित्य में ‘वीर’ कहा गया है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर संभवतः यक्ष ही थे। ऐसा कुछ विद्वानों का मत है। यह जाति हिमालय निवासनी थी। उत्तर में अलकापुरी यक्षों की आदिम बस्ती मानी जाती है, यह संभवत : गढ़वाल कुमाऊं क्षेत्र में थी…
गतांक से आगे
यक्ष : किन्नर और किरात जाति के बाद एक और जाति का नाम आता है। यह जाति यक्ष नाम से जानी जाती है। वैदिक साहित्य में इसे ‘ब्रह्मा’ शब्द लिखा गया है। जबकि परवर्ती साहित्य में ‘वीर’ कहा गया है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर संभवतः यक्ष ही थे। ऐसा कुछ विद्वानों का मत है। यह जाति हिमालय निवासनी थी। उत्तर में अलकापुरी यक्षों की आदिम बस्ती मानी जाती है, यह संभवत : गढ़वाल कुमाऊं क्षेत्र में थी। पंरतु हिमाचल में अब इसके अवशेष दिखाई नहीं देते।
नाग : किन्नर-किरात के समकालीन ही एक और जाति भारत में निवास करती है। जिसका सारे प्रदेश में प्रभुत्व कायम था। यह नाग जाति थी। नाग प्राचीन साहित्य की बहुचर्चित अनार्य जाति है। वेदों मेंख् पुराणों में, गाथाओं और परंपराओं में, समुद्रगुप्त की प्रशक्ति में तथा अभिलेखों में, बौद्ध, ब्राह्मण तथा जैन साहित्य में और लोग साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है। नाग जाति साकार भी रही और निराकार भी बनी। मनुष्य भी रही औरदेवत्व भी पा गई। सारे भारत में किसी समय नाग सबते थे। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक तथा पंजाब से लेकर असम तक नाग राज्य था। किन्नौर के कोठी ग्राम में उनके स्मृति चिन्ह हैं। नर्वदा क्षेत्र में भी और लंका के महावंश में नागों के बसने का उल्लेख मिलता है। महाभारत और बौद्ध साहित्य तो नागों के वर्णन से भरा पड़ा है। महात्मा बुद्ध और महावीर के समकालीन विंविस्तार और अज्ञातशत्रु दोनों शेषनाग के वंश के थे। विष्णु पुराण में12 प्रधान नागों का वर्णन मिलता है। जिनके नाम हैं- शेष, वासुकि, तक्षक, शंख, श्वेत, महापद्म, कंवल, अखतर, एलापत्र, नाग, ककेटिक और धनंजय। साधारणतः आठ नाग प्रसिद्ध हैं। उनके नाम हैं- अनंत, (शेष का दूसरा नाम) पदम शंख शंकुवल, वासुकि, ककेटिक, एलापत्र और तक्षक। राजतरंगिण के अनुसार कककेटिक तो कश्मीर राजवंश का संस्थापक था। उधर तक्षक को खांडव वन में इंद्रप्रस्थ के निकट आर्यों ने हराकर हिमाचल की पहाडि़यों में शरण लेने के लिए मजबूर किया। बाद में तक्षक ने हिमालय में ही नाग राज्य स्थापित किया। महाभारत में एक और वर्णन से पता चलता है। कि पांडव पुत्र अर्जुन ने नागराज वासुकि की उलुपी नामक नाग कन्या से गंधर्व विवाह किया। चंबा, कुल्लू आदि क्षेत्रों में आज तक वासुकि नामक नाग को उपासना की जाती है। -क्रमशः
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