रघुनाथ के दर्शनों को उमड़ा सैलाब

वसंत पंचमीं पर निकली भगवान रघुनाथ की शोभायात्रा, जय श्रीराम से गूंजी घाटी, भक्तों ने रथ खींचकर कमाया पुण्य

कुल्लू – वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर एक बार फिर भगवान रघुनाथ की शोभायात्रा ढालपुर के रथ मैदान से होते हुए उनके अस्थायी शिविर तक पहुंची। हजारों भक्तों ने यहां भगावन की शोभायात्रा में हिस्सा लिया और रथ को खींचते हुए भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। बता दें कि कुल्लू में  होली का त्योहार भी गुरुवार से शुरू हो जाएगा। वृंदावन की तर्ज पर यहां पर भी वसंत पंचमी के साथ होली का आगाज भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा के साथ शुरू हो जाता है। बुधवार को कुल्लू के ढालपुर स्थित रथ मैदान में मनाए गए वसंत उत्सव में भगवान रघुनाथ अपने निवास स्थल से पूरे लाव लश्कर सहित रथ मैदान पहुंचे। इसके बाद यहां पर भगवान के रथयात्रा निकाली जाएगी और इस रथयात्रा के साथ ही यहां पर होली का आगाज भी आज से शुरू हो गया है। जो अगले 40 दिन यानि होली महोत्सव तक चलेगा। रथयात्रा शुरू होने से पहले यहां सारी परंपराएं विधिवत रूप से निभाई गई, जब भगवान रघुनाथ रघुनाथपुर से निकले तो रथ मैदान पहुंचने पर उनकी पूजा-अर्चना की गई। उन्हें पुजारियों द्वारा इससे पहले रथ पर विराजमान करवाया गया। इसके बाद यहां पूजा-अर्चना करने के बाद भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह ने भी सभी परंपराओं को निभाया। इसके बाद राज परिवार के सदस्यों ने रथ की परिक्रमा की। परिक्रमा के बाद जय श्री राम के नारों के साथ रथ को भक्तों ने खींचकर भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। वहीं, इस दौरान यहां हनुमान का रूप धारण किए बैरागी समुदाय के व्यक्ति ने भी सारी परंपराओं को निभाया और साथ ही भगवान रघुनाथ की पूचा-अर्चना के दौरान भी साथ रहे। वहीं, यहां भरत मिलाप भी किया गया। इस दौरान मंहत समुदाय से ही गुरु वश्ष्ठि बने एकांशी मंहत ने भी सभी परंपराओं को निभाया। भरत मिलाप देख यहां हजारों की संख्या में उमड़ी भक्त की आंखें भी नम दिखीं। इसके बाद  रथ में विराजे भगवान रघुनाथ अपने अस्थायी शिविर तक भक्तों के साथ पहुंचे। इस रथ को रस्सियों से खींचकर अस्थायी शिविर तक लाया जाता है और यहां पर हनुमान बना व्यक्ति सब पर गुलाल भी डालता है, जिस पर यह गुलाल गिरता है, वह शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान रघुनाथ की पूजा-अर्चना और भरत मिलाप होने के बाद भगवान रघुनाथ से लोग आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और शाम को रघुनाथ जी भक्तों के साथ ही वापस अपने स्थायी शिविर रघुनाथपुर लौट गए।