रोने के फायदे

By: Jan 24th, 2020 12:05 am

पूरन सरमा

स्वतंत्र लेखक

रोने का रोना लेकर बैठ जाओ तो फायदे ही फायदे हैं। रोना जीवन में बहुत काम आता है। जिसे रोना नहीं आता, समझो वह पिछड़ गया। बात-बात पर आंखों से आंसू बहने लगें तो समझो जीवन नैया पार लग गई। रोने के लिए यह कतई आवश्यक नहीं कि आप वास्तव में रोयें ही रोयें, बस रोने की कला आनी चाहिए। वैज्ञानिक रूप से रोना भले लाभदायक नहीं हो, परंतु कलात्मक रूप से रोना फायदे का मूल है। रोने के भी कई प्रकार हैं। केवल आंसू भर लाना, आंसू टपकाना, दहाड़ मारना और फूट-फूटकर रोना। जिसे फूट-फूटकर रोना आ गया, बस वह सफल हो गया। रोने के लिए बस अवसर की आवश्यकता है। अवसर मिलते ही रो डालिए, मुश्किलें आसान हो जाएंगी। घर में रोइये, सड़क पर रोइये, दफ्तर में रोइये और दूसरे के सामने रोइये, मेहनत बेकार नहीं जाती और इसका लाभ देर-सबेर मिल जाता है। स्वार्थ के लिए रोइये। रोने में मैं सिद्धहस्त हूं। जिस कुशलता से मैं रोता हूं, देखने वाले दांतों तले अंगुली दबाकर चकित हो जाते हैं। बचपन के रोने को जाने दीजिए। यहां रोवो तो मां दूध पिला देती है और पिता टाफी-बिस्कुट दिला देते हैं। रोने की शुरुआत विद्यार्थी काल से शुरू कर दी जाए तो युवावस्था तक आदमी इस कला में परिपक्व हो जाता है। स्कूल में रोवो तो पनिशमेंट नहीं मिलता और फेल हो रहे हों तो ग्रेस देकर पास कर दिया जाता है। दूसरों की दया और करूणा पाने के लिए रोना जरूरी है। मैं खुद स्कूल-कालेज में रोया और इसका भरपूर फायदा लिया। घरवालों ने राशन की ‘क्यू’ में भेजा तो वहां रोया। दया पाकर लाइन तोड़कर आगे जा लगा और उल्लू सीधा करके हंसता हुआ घर आ गया। आजकल अकेली रोनी सूरत हैल्पफुल नहीं है। बाकायदा रोना पड़ता है। नौकरी लगी तो दफ्तर में अफसर के सामने रोया। उसने सारा काम मेरे बगल वाले को दे दिया और उधर चमचागिरी का गुण पृथक होने से पचास लफड़ों से बचा रहा। रोने के साथ चमचागिरी का गुण सोने में सुहागा के समान है। पो्रमोशन भी मुझे ही मिला और बगलवाला रगड़ता रहा कलम। बस में रोया तो सीट मिली, लाइन में रोया तो कार्यसिद्ध हुआ, सड़क पर रोया तो लोगों ने मदद की, घर में रोया तो कामचोरी के मजे लिए, पार्टी में रोया तो टिकिट मिला, मतदाता के सामने रोया तो वोट मिला, चुनाव जीता और हाईकमान के सामने चमचागिरी वाला रोना रोया तो मंत्री पद मिला। मंत्री बना तो घोटाले करके करोड़पति बन गया। जांच होने की नौबत आई तो जांच कमीशन के सामने रोया और निर्दोष पाया गया। रोते हुए नारको टेस्ट कराया तो मशीनें फेल हो गईं। रोने का बस सॉलिड बहाना ढ़ूंढ लीजिए, पांचों अंगुलियां क्या, पूरा हाथ घी में सना मिलेगा। रोने की कला जिसको आ गई, उसको कठिनाई छू भी नहीं सकती। इसलिए रोइये, जी भरकर रोइये, मगरमच्छ के आंसू भर लाना थोड़ा कलात्मक अवश्य है, लेकिन मुश्किल नहीं।


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