सीएए और एनआरसी को लेकर दुविधा
-रूप सिंह नेगी, सोलन
देश में सीएए और एनआरसी को लेकर जनता में ही नहीं बल्कि राजनीतिक दलों में भी दुविधा होना स्वाभाविक है। शायद सीएए कानून मुसलमानों को छोड़ अन्य धर्मों के भारतीय मूल के लोग जो बाहरी देशों में रह रहे हैं, उन को भारतीय नागरिकता देने वाला कानून है। देश की जनता सीएए का विरोध संभवतः इसलिए कर रही होगी क्योंकि बताया जाता है कि बाहरी देशों में रह रहे भारतीय मूल के मुसलमानों को सीएए कानून से बाहर रखा गया है। एनआरसी वह कानून है जिसके मुताबिक हर भारतवासी को नागरिक होने का प्रूफ देना होगा और यदि कागजात उपलब्ध न करा सके या नाम व जन्मतिथि में फर्क पाया जाए तो उसे नागरिकता खोनी पड़ सकती है, शायद डिटेंशन सेंटर की भी हवा खानी पड़ सकती है। हो सकता दोबारा नागरिकता मिलने में दशक भी लगे या न भी मिले, कहा नहीं जा सकता। सरकार को 130 करोड़ जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
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