सीएए के खिलाफ प्रस्ताव ‘राजनीतिक कदम’, राज्यों की बमुश्किल ही कोई भूमिका: थरूर

By: Jan 23rd, 2020 7:11 pm

कोलकाता  – एक ओर जहां कांग्रेस शासित पंजाब और लेफ्ट की अगुआई वाली केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाए जा चुके हैं और महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा पश्चिम बंगाल में इसके खिलाफ प्रस्ताव लाने की योजना बन रही है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने की बातें सिर्फ राजनीति से प्रेरित हैं। थरूर ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका है। सांसद ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के क्रियान्वयन में राज्यों की अहम भूमिका होगी क्योंकि केंद्र के पास मानव संसाधन का अभाव है, ऐसे में उनके अधिकारी ही इस काम को पूरा करेंगे। आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी कहा था कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है। हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि यह असंवैधानिक है। थरूर ने कहा, ‘यह एक राजनीतिक कदम अधिक है। नागरिकता संघीय सरकार ही देती है और यह स्पष्ट है कि कोई राज्य नागरिकता नहीं दे सकता, इसलिए इसे लागू करने या नहीं करने से उनका कोई संबंध नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘वे (राज्य) प्रस्ताव पारित कर सकते हैं या अदालत जा सकते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे क्या कर सकते हैं? राज्य सरकारें यह नहीं कह सकतीं कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगी, वे यह कह सकती हैं कि वे एनपीआर-एनआरसी को लागू नहीं करेंगी क्योंकि इसमें उनकी अहम भूमिका होगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

आपको बता दें कि थरूर के पार्टी सहयोगी कपिल सिब्बल ने पिछले सप्ताह यह कह कर बवाल मचा दिया था कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है। बाद में, उन्होंने इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया और स्पष्ट किया कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं है। थरूर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीएए पर रोक लगाने का आदेश नहीं देने से इसके खिलाफ प्रदर्शन ‘कतई कमजोर नहीं’ हुए हैं। उन्होंने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने के शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया।


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