स्वच्छता सर्वेक्षण…नगर निगम ने पंचायतों से मांगा सहयोग

शिमला-शिमला में होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान के लिए नगर निगम प्रशासन लोगों को जागरूक करने के लिए स्वयं फील्ड में उतर रहा है, जिससे शहर को साफ-सुधरा रखा जाए। दरअसल शहर में इन दिनों साफ-सफाई को लेकर लोगों में जागरूकता देखी जा रही है। लोग अब कूड़ा कू ड़ेदानों में ही डाल रहे हैं, लेकिन पंचायतों में अधिकतर लोग स्चछता सर्वेक्षण के लिए जागरूक नहीं हैं। शहरों में लोग कूड़ा कूड़ेदानों में डाल रहे हैं यदि कोई भी खुले में कू ड़ा फेंकता हुआ पाया जाता है तो उससे ऑन दि स्पॉट फाइन निगम वसूल रहा है। ऐसे में लोग स्वयं ही स्वच्छता के लिए जागरूक हैं। इसी के साथ पंचायती क्षेत्रों में देखा जा रहा है कि लोग कूड़ा खूले में डाल रहे हैं, जिससे इस स्वच्छता सर्वेक्षण में काफी समस्या हो सकती है। ऐसे में निगम ने पंचायतों को भी यह राय दी है कि जिस तरह शहरों में गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग उठाया जा रहा है। उसी तरह पंचायतों में भी कूड़े को एक स्थान व गड्डे में डाल कर उसे खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे खुले में कूड़ा नहीं फैलेगा। हालांकि निगम प्रशासन हर क्षेत्र में इन दिनों साफ-सफाई बनी रहे, यह सुनिश्चित कर रहा है। ऐसे में यह साफ है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 को लेकर शिमला नगर निगम ने कसरत शुरू कर दी है। इस बार देश के टॉप 10 साफ. सुथरे शहरों में शामिल करने को लेकर नगर निगम जहां आम जनता की भागीदारी लेने जा रहा है। वहीं, खुले में कूडा फैलाने वालों के खिलाफ  निगम सख्त हो गया है। नगर निगम खुले में कूडा फेंकने वालों से पांच हजार तक जुर्माना वसूल करेगा। सफाई कर्मियों को जहां शहर के नालों को स्वच्छ रखने के निर्देश दिए गए वहीं, शहर में गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ  भी सख्त करवाई के निर्देश दिए गए। शहर में खुले में कूडा फेंकने वालों के फोटो खींचने वालों को निगम ढाई सौ रुपए देगा और निगम कूड़ा फेंकने वालों से पांच सौ रुपए वसूलेगा। बीते वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण में शिमला शहर पिछड गया था, लेकिन इस बार रैंकिंग में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में निगम द्वारा शहर की जनता से भी साफ सफाई में सहयोग करने की मांग की गई है।