हिमाचल प्रदेश चश्मों और झरनों के लिए काफी प्रसिद्ध है

By: Jan 15th, 2020 12:18 am

जिलावार हिमाचल (बिलासपुर) भाग-4

हिमाचल  प्रदेश अपने चश्मों व झरनों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें विशेषतः औषधीय जल वाले चश्में महत्त्वपूर्ण हैं। जिला बिलासपुर में भी दो ऐसे चश्में हैं- एक स्वारघाट के समीप ददराना में तथा दूसरा गांव बस्सी के समीप। बस्सी चश्में का जल काफी पवित्र माना जाता है। पंजाब की तुलना में बिलासपुर जिले का मौसम सामान्यतः न अधिक गर्म न अधिक ठंडा है …

गतांक से आगे

हिमाचल प्रदेश अपने चश्मों व झरनों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें विशेषतः औषधीय जल वाले चश्में महत्त्वपूर्ण हैं। जिला बिलासपुर में भी दो ऐसे चश्में हैं- एक स्वारघाट के समीप ददराना में तथा दूसरा गांव बस्सी के समीप। बस्सी चश्में का जल काफी पवित्र माना जाता है। पंजाब की तुलना में बिलासपुर जिले का मौसम सामान्यत ः न अधिक गर्म न अधिक ठंडा है बिलासपुर में औसत वार्षिक वर्षा 1373 मिली मीटर है। औसतन अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियम तथा न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियम है। दरिया के नजदीक स्थित होने के कारण बिलासपुर शहर तथा घुमारवीं का तापमान सर्दियों में अधिक ठंडा तथा गर्मियों में अधिक गर्म होता है।

 इतिहास

 यह राज्य सतलुज नदी की निचली घाटी में दाहिनी भाग के साथ लगती शिवालिक की पहाडि़यों में था कहलूर राज्य की स्थापना से पहले इस क्षेत्र की  क्या राजनीतिक स्थिति थी, ऐतिहासिक सामग्री के अभाव के कारण स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता । सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री हवेनत्संग (भारत में 630-644 ईस्वी) ने पूर्वी पंजाब तथा साथ में लगते पहाड़ी क्षेत्रों के राज्यों में जालंधर, कुल्लू तथा शतुद्रु का उल्लेख किया है। उसने जालधंर राज्य की पूर्व से पश्चिम तक की लंबाई 1000 ली अर्थात 167 मील और उत्तर से दक्षिण तक े चौड़ाई 800 ली यानी 133 मील का वर्णन किया। यदि लंबाई को ठीक माना जाए तो दक्षिण पूर्व की ओर का शतुदु्र का क्षेत्र इस राज्य के अंतर्गत आता है। हवेनत्सांग जालधंर से कुल्लू गया और कुल्लू से शतुद्रु (और अलेक्जेंडर कनिंघम)  के अनुसार सरहिंद गया । उसने कुल्लू से शतुद्रु की दूरी दक्षिण की ओर 700ली अर्थात 117 मील लिखी है। कुल्लू से शतुद्रु तक की यात्रा में निश्चय ही कहलूर (बिलासपुर) होता हुआ गया होगा। कनिंघम ने भी हवेनत्सांग की यात्रा का जो मानचित्र खींचा है, उसमें भी  उसका मार्ग कहलूर क्षेत्र से दिखाया गया है। कनिंघम से सरहिंद को शतुद्रु माना है। हवेनत्संग ने शतुदु्र का घेरा 2000 ली. लिखा था, जो 333 मील होता है। यदि सरहिन्द को शतुदु्र का मुख्य नगर माना जाए और सतलुज नदी को उत्तर पश्चिमी सीमा, तो इसका उत्तरी भाग शिमला की पहाडि़यों तक रहा होगा। दक्षिण में अंबाला तक और  फिर अंबाला से शिमला तक का क्षेत्र इसके अंतर्गत रहा होगा। कनिंघम के अनुसार यदि इस परिधि को ध्यान में रखा जाए तो शिमला से पश्चिम की ओर की पहाड़ी रियासतें जिसमें कहलूर-बिलासपुर भी थी। -क्रमशः


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