11 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक के लाइसेंस कैंसिल

By: Jan 17th, 2020 12:01 am

पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्रवाई, महिला अल्ट्रासाउंड का डाटा न मिलने पर जवाबतलबी

शिमला – प्रदेश के ग्यारह अल्ट्रासाउंड क्लीनिक के लाइसेंस कैंसिल कर दिए हैं। पीएनडीटी यानी कि प्रसव पूर्व निदान अधिनियम के तहत यह कार्रवाई अमल में लाई गई है। जानकारी के मुताबिक शिशु लिंग सुधार में आगामी कदम उठाते हुए क्लीनिकों की खिंचाई भी की गई है। बताया जा रहा है कि नियम के तहत इन क्लीनिकों के अलग-अगल पैनल्टी लगाई गई है, जिसमें तीन से छह माह के लिए लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक बीते छह माह पहले प्रदेश भर में किए गए अल्ट्रासाउंट क्लीनिकों की जांच के बाद लगभग बीस क्लीनिकों को नोटिस जारी किए गए थे। क्लीनिकों को पहले जवाब तलबी के साथ नोटिस जारी किए गए थे। उसके बाद उनके जवाब पाने के बाद दोबारा से औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें उनकी लापरवाही पहले की तरह पाई गई। अधिनियम के तहत जिन अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं, उनके पास कई गर्भवती महिलाआें का अल्ट्रासाउंड डाटा ही नहीं मिला पाया है, वहीं लिखित रिकार्ड में भी गड़बड देखी गई है। जिस पर अभी लगभग छह माह के भीतर नीरिक्षण की पूरी प्रकिया अपनाने के बाद ये कार्रवाई अमल में लाई गई है। सूचना है कि  तीन माह की छापेमारी की रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें बीते वर्ष अभी तक की रिपोर्ट पर अब यह कार्रवाई तय की गई है। इसमें 11 अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों के लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई शिमला, मंडी, सिरमौर, सोलन, कांगड़ा, बिलासपुर और चंबा में की गई है। संबंधित क्लीनिकों को यह भी साफ कर दिया गया है कि लिंग सुधार में पीएनडीटी के नियम को मानना जरूरी है।

शिशु लिंग सुधार की ओर

शिशु लिंग सुधार में हिमाचल अब बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि प्रदेश में अल्ट्रासाउंड में छापेमारी के लिए पहले एक निजी कंपनी के हाथों एक स्टिंग आपरेशन करवाने के प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जा रहा था, लेकिन बाद में प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट को विभिन्न कमियों के साथ रिजेक्ट कर दिया गया था। इसके बाद सीएमओ को पुलिस प्रशासन की मदद से छापेमारी का अधिकार दिया गया, जिसके तहत ही एक तय टारगेट के बाद ये कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।


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