22 पंचायत सचिवों की ट्रांसफर से विवाद
लाहुल-स्पीति का मामला; कांग्रेस ने बनाया मुद्दा, भारी बर्फबारी के बीच एक गांव से दूसरे गांव पहुंचना मुश्किल
केलांग – जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति के 22 पंचायत सचिवों की सरकार द्वारा जारी की गई तबादलों की अधिसूचना ने लाहुल का सियासत को गरमा डाला है। पंचायत सचिवों की तबादलों को लेकर कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए जहां सरकार को घेरने की तैयारी कर डाली है, वहीं इसे कमचारियों का शोषण भी करार दिया है। लाहुल-स्पीति के पूर्व विधायक रवि ठाकुर ने सरकार पर कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जनजातीय जिला के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सर्दियों में जिला के एक साथ 22 पंचायत सचिवों के तबादले किए हों। उन्होंने कहा कि वह पंचायत सचिवों के ट्रांस्फर करने के निर्णय के विरोध में नहीं हैं, बल्कि वह इस बात से हैरान है कि जब पूरा लाहुल-स्पीति बर्फबारी की मार इन दिनों झेल रहा है और जिला का अधिकतर क्षेत्र पूरे विश्व से कटा हुआ है। यही नहीं, ऐसे में बात यहां की पंचायतों की करें तो इन का संपर्क भी भारी बर्फबारी के कारण जिला मुख्यालय से कटा हुआ है। एक पंचायत से दूसरी पंचायत तक पहुंचना इन दिनों किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में सरकार द्वारा लाहुल-स्पीति के 22 पंचायत सचिवों के तबादले सर्दियों में करना उनकी समझ से परे। उन्होंने कहा कि सरकार को अगर इनके तबादले करने ही थे, तो वह समय रहते यानी अक्तूबर माह तक कर दिए जाते, ताकि उक्त पंचायत सचिव असानी से अपनी-अपनी पंचायतों के कार्यालय तक तो पहुंच जाते। सर्दियों में वो भी उस समय इनके तबादले करना जब लाहुल-स्पीति पूरी तरह विश्व से कटी हुई है और घाटी का एक भी गांव जिला मुख्याल से जुड़ा तक नहीं है। ऐसे में उक्त पंचायत सचिव कब अपनी पंचायतों के कार्यालयों में पहुंचेंगे और कब अपना कार्य करेंगे इस बात पर भी प्रश्न चिन्ह बरकरार है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक पत्र भी लिखा है और लाहुल के 17 व स्पीति के पांच पंचायत सचिवों के किए गए तबादलों को फिलहाल मार्च माह तक रोकने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जिला की सभी पंचायतों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार ने पंचायत सचिवों के दबादले कर लोगों की दिक्कतों को भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि चार से पांच फीट बर्फ के बीच एक गांव से दूसरे गांव में पहुंचना जहां जान जोखिम में डालने के बराबर है, वहीं सरकार द्वारा जारी तबादलों की सूची उक्त कर्मचारियों पर किसी पहाड़ के टूटने के समान है।
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