एसोचैम ने उठाई मोदी सरकार से मांग, आगामी बजट में तुरंत राहत देने की जताई उम्मीद
नई दिल्ली – एसोचैम ने सभी स्लैब में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर 25 प्रतिशत तक घटाने और सूक्षम, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र की समस्याओं को तत्काल दूर करने तथा कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट फार्मिंग शुरू करने के बजट में प्रावधान करने के साथ कुछ मांगें सरकार के समक्ष रखी हैं और उन्हें उम्मीद है इन्हें पूरा किये जाने से आर्थिक सुस्ती दूर होगी और रोजगार के व्यापक अवसर उत्पन्न होंगे। एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उद्योग क्षेत्र को उम्मीद है कि आगामी बजट में ऐसे प्रावधान किए जाएंगे , जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और आगामी कुछ वर्षाें में देश 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था वाला राष्ट्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार कारोबार में सहूलियत के लिए उद्यमियों के सामने जमीनी स्तर पर आने वाली दिक्कतें दूर करने के साथ ही नयी इकाइयों को मंजूरी देने की प्रक्रिया सरल करेगी। उम्मीद है कि सरकार भूमि संबंधी दस्तावेजों के डिजिटलीकरण की पुरानी मांग को पूरा करेगी और इसके लिए समयबद्ध नीति बनायी जाएगी। भंडारगृहों के आवंटन के काम में तेजी आएगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों या माइक्रो फाइनांस कंपनियों के जैसे ही एमएसएमई वित्तपोषण के लिए विशेष एनबीएफसी को एमएसएमई को वित्त देने के लिए स्थापित किया जाना चाहिए और इस तरह के ऋण को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। श्री हीरानंदानी ने कहा कि आयात वाले वे उत्पाद जो भारत में विनिर्माण के लिए नए निवेश को आकर्षित करते हैं, उन्हें मुक्त व्यापार समझौते के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। प्रत्येक एक करोड़ के निवेश में 50 लोगों और उससे अधिक लोगो को रोजगार देने वाले उद्योगों को उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में माना जाना चाहिए। बीस प्रतिशत से अधिक महिलाओं को रोजगार देने वाली कंपनियों को एक प्रतिशत की समग्र कर छूट देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार के लिए कम से कम तीन से पांच वर्षों के लिए नीति में स्थायित्व की आवश्यकता है। निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों के लिए सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत है जिससे क्रियान्वयन में हो रही देरी से बचा जा सके। पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि आईएलएफएस बांड आने के बाद भी बाजार में सुधार नहीं हुआ है। दीर्घकालिक बांड में निवेश के लिए बाजार की आवश्यकता है, जहां पेंशन फंड निवेश कर सकते हैं।