अत्याचारी था सागर चंद का बड़ा बेटा

By: Feb 19th, 2020 12:17 am

जिलावार हिमाचल (बिलासपुर) भाग-9

सागर चंद का बड़ा पुत्र निष्ठुर और अत्याचारी था। इससे सारी प्रजा बिगड़ गई। रूढ़ों ने तो कोट कहलूर पर चढ़ाई कर दी और उसे भाग कर कुल्लू में जाकर शरण लेनी पड़ी। उसका एक चचेरा भाई था, जिसका नाम मल दरोल था। वह बहुत चतुर व्यक्ति था। वह दिल्ली में सुल्तान शम्सुद्दीनइल्तुतमिश (1221-1236 ईस्वी) के दरबार में जा पहुंचा और वहां बादशाह को प्रसन्न करके उसकी कुछ सेना अपने साथ ले आया…

गतांक से आगे

काहन चंद:

काहन चंद ने हिंदूर के ब्राह्मण ठाकुर को पराजित करके अपने दूसरे पुत्र सुचेत चंद को वहां का राजा बनाया, जो बाद में हिंदूर- नालागढ़ नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसका बड़ा पुत्र अजीत चंद कहलूर की गद्दी पर बैठा।

राजा मेघ चंद (लगभग 1221 ईस्वी) :

सागर चंद का बड़ा पुत्र निष्ठुर और अत्याचारी था। इससे सारी प्रजा बिगड़ गई। रूढ़ों ने तो कोट कहलूर पर चढ़ाई कर दी और उसे भाग कर कुल्लू में जाकर शरण लेनी पड़ी। उसका एक चचेरा भाई था, जिसका नाम मल दरोल था। वह बहुत चतुर व्यक्ति था। वह दिल्ली में सुल्तान शम्सुद्दीनइल्तुतमिश (1221-1236 ईस्वी) के दरबार में जा पहुंचा और वहां बादशाह को प्रसन्न करके उसकी कुछ सेना अपने साथ ले आया। उस सेना ने राजा को कुल्लू से लाकर फिर कहलूर की गद्दी पर बैठाया। इस राजा ने मल दरोल को अपना मंत्री बनाया और उसे एक बड़ी जागीर भी दी। राजा मेघ चंद के उपरांत ये दोनों राजा राजगद्दी पर बैठे।

  1. देव चंद (1326)
  2. आलम चंद (1326-1369)
  3. राजा अभयसार अभिसंद चंद :

 इसके समय में दिल्ली के बादशाह मुहम्मद तुगलक का तातार खां नाम का सरदार एक बार अपने साथ कुछ सेना लेकर दिल्ली से लाहौर जा रहा था। मार्ग में जब वह कीरतपुर में ठहरा तब उसके पास कुछ कसाई बहुत-सी गाएं लेकर जा रहे थे। राजा ने यह समाचार पाकर अपनी सेना भेजी कसाइयों के हाथों से सब गाओं को छुड़ा लिया। यह समाचार जब तातार खां को मिला उसे सरदार की सेना का पीछा किया और कोट- कहलूर को घेर लिया। वह जब किले के मुख्य दरबार को तोड़ने में असमर्थ रहा, तो उसने एक हाथी को दीवार को तोड़ने में लगाया। राजा ने हाथी की सूंड को तलवार से काट दिया और इस बीच ततार खां भी मारा गया। उसकी सेना भी परासत होकर भाग खड़ी हुई। जब ततार खां की मृत्यु का समाचार उसके पुत्र को मिला, तो वह बदला लेने के लिए कुछ सेनिकों के साथ आनंदपुर आया। अपनी मित्रता जताकर राजा को मिलने आया। उसे किले में आदर से बुलाया गया। परंपरा के अनुसार बाद में राजा और  उसका छोटा पुत्र सुंदर चंद भी तातार खां के शिविर में गए।  उन्होंने उनसे शस्त्र एक ओर रखवा दिए और  बाद में धोखे से उन्हें मार दिया। तत्पश्चात राजा के दो और पुत्रों ने शाही सेना को हराकर राजा के शरीर को छीन लिया। बाद में शरीर के साथ रानिया सती हो गई।                          -क्रमशः


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