एबीवीपी ने तोड़ा नियामक आयोग का गेट

By: Feb 26th, 2020 12:22 am

फर्जी डिग्री पर विद्यार्थी परिषद का फूटा गुस्सा, आयोग की सचिव सहित सदस्य के ऑफिस में भी जड़ा ताला

शिमला-प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों के फर्जीवाड़े और डिग्रियां बेचने के मामले पर एबीवीपी बिफर गई है। एबीवीपी छात्र संगठन फर्जी डिग्री मामले पर अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। इस मुद्दे पर मंगलवार को निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के कार्यालय में एबीवीपी ने जमकर नारेबाजी की। निजी विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई न होने से विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता काफी गुस्से में नजर आए। इस दौरान एबीवीपी ने पहले आयोग की सचिव पूनम का घेराव किया, उनके दफ्तर के भीतर नारेबाजी की और फिर बाहर आकर आयोग का बोर्ड उखाड़ कर तोड़ डाला। इस बीच विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता आयोग के दफ्तर में ताला लगाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान पुलिस और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच जमकर नोंक-झोंक हुई और हल्की झड़प भी हुई। इस दौरान पुलिस के जवान गेट पर डटे रहे। हंगामा बढ़ते देख पुलिस को क्योआरटी बुलानी पड़ी। एबीवीपी कार्यकर्ता लगातार सरकार और आयोग के चेयरमैन केके कटोच के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इतना ही नहीं इसके बाद एबीवीपी ने आयोग के सदस्य डा. एसपी कत्याल का भी घेराव किया और फिर उन्हें दफ्तर से बाहर निकाला। उसके बाद उनके ऑफिस में ताला जड़ दिया। उन्होंने बताया कि आज शिक्षा के क्षेत्र में जिस प्रकार से बहुत से फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं, उसमें हिमाचल  प्रदेश  का नाम भी ऊपरी पायदान पर है, जिसमें हिमाचल के दो निजी विश्वविद्यालयों में फर्जी डिग्री घोटाला हुआ है, जिसका विद्यार्थी परिषद कड़े शब्दों में निंदा करती है। एबीवीपी कार्यकर्ताआें ने आरोप लगाया कि शिक्षा कोई वस्तु नहीं, जिसे बाजारों में बेचने के लिए रखा जाए, लेकिन प्रदेश के अंदर जो शिक्षा को बेचने का काम किया जा रहा है उससे छात्रों में आक्रोश है। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश की इन निजी विश्वविद्यालयों ने विद्यार्थियों से पैसे लेकर उन्हें फर्जी डिग्रियां तैयार कर बेची हैं, यह कार्य पिछले दस सालों से धड़ल्ले और निडरता के साथ किया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी ने सरकार से सवाल भी किया है कि प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग को किसलिए बनाया गया है, क्या इसलिए बनाया गया है कि फर्जी डिग्रीयां बेचीं जाएं? अभी तक भी नियामक आयोग और सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि निजी विश्वविद्यालयों ने अपने एजेंट के माध्यम से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल सहित दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में डिग्रियां बेची हैं। डिग्री के नाम पर लाखों रुपए लिए गए हैं। एबीवीपी का आरोप है कि जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता नियामक आयोग के कार्यालय में जाते हैं, तो नियामक आयोग का अध्यक्ष वहां से भाग जाता है और जब वहां पर उपस्थित कर्मचारियों से उन्हें बुलाने को कहा तो वहां की सचिव व सभी सदस्यों का भी कहना था कि उन्हें अपने हिसाब से कार्य करने से अध्यक्ष द्वारा रोका जाता है और तानाशाही रवैया अपनाया जाता है, जिसके चलते वहां का कोई भी कर्मचारी नियामक आयोग के अध्यक्ष से बात तक करने को राजी नहीं है।

चेयरमैन समेत पूरे स्टाफ को हटाने की मांग

एबीवीपी का कहना है कि निजी विश्वविद्यालयों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में इस आयोग की कोई जरूरत नहीं है। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि नियामक आयोग कार्यालय पर यहां ताला लगाना चाहिए। नियामक आयोग के कार्यालय के बाहर गरजी एबीवीपी ने चेयरमैन समेत पूरे स्टाफ को हटाने की मांग की है। एबीवीपी ने इस दौरान जिला संयोजक सचिन में पूरी जानकारी देते हुए बताया कि बीते समय से चले आ रहे डिग्रियों के फर्जीवाड़े को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने धरना-प्रदर्शन किया।

अगला मोर्चा सरकार के खिलाफ

एबीवीपी के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार के फर्जीवाड़े के खि़लाफ़ विद्यार्थी परिषद आने वाले समय मे नियामक आयोग और सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोल देगी और यदि समय से नियामक आयोग के अध्यक्ष को अपने पद से बर्खास्त न किया गया तो विद्यार्थी परिषद सरकार के खिलाफ भी पूरे प्रदेश में मोर्चा खोल देगी और यदि फिर भी सरकार इन फर्जीवाड़ों पर गौर नहीं करती है तो विद्यार्थी परिषद आने वाले समय में विधानसभा का घेराव करने से भी परहेज नहीं करेगी।


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