कर्ज सस्ता न करने पर मायूसी

उद्योग जगत का दावा, विकास में तेजी के लिए ब्याज दरों में कटौती की जरूरत

नई दिल्ली – रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में रेपो दर को पूर्ववत रखे जाने को लेकर उद्योग जगत ने मायूसी जताई है। उसका मानना है कि अर्थव्यवस्था में गतिविधियों को बढ़ाने के लिए रेपो दर को घटाकर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाना चाहिए। हालांकि, वाहन क्षेत्र, आवास और छोटे उद्योगों के लिए नकदी बढ़ाने के उपायों को उद्योग जगत ने प्रोत्साहन देने वाला कदम बताया है। उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा है कि रेपो दर में इस समय 0.15 से 0.25 प्रतिशत तक की कटौती की जरूरत थी और समय भी उपयुक्त था। श्री रेड्डी ने कहा है कि रिजर्व बैंक का यह कदम मुद्रास्फीति उसके संतोषजनक दायरे से ऊपर निकल जाने की वजह से हो सकता है, लेकिन उद्योगों का मानना है कि इस समय मुद्रास्फीति की वजह आपूर्ति की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कमजोर बनी हुई है। ऐसे में रेपो दर में चौथाई प्रतिशत तक की कटौती करना ‘सही समय पर उठाया गया कदम होता।’ एसोचैम के अध्यक्ष डा. निरंजन हीरानंदानी ने हालांकि मौद्रिक समीक्षा पर सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाते हुए कहा कि नीति में बैंकिंग तंत्र एक लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त तरलता डालने के साथ ही वाहन, आवास और छोटे एवं मझोले उद्योग क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया है। डा. हीरानंदानी एसोचैम का अध्यक्ष होने के साथ ही आवास क्षेत्र की शीर्ष संस्था नारेडको के भी अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि मध्यम श्रेणी के उद्योगों को बैंकों से बाहरी दर से जुड़ी ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराए जाने और एमएसएमई के पुराने कर्ज के पुनर्गठन के मामले में उदार रवैया अपनाए जाने के कदम से पूरी अर्थव्यवस्था में धारणा सकारात्मक होगी और उसे बल मिलेगा। रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के कर्जों के एकबारगी पुनर्गठन की समयसीमा को मार्च से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2020 तक कर दिया है। यह कदम न केवल संकटग्रस्त क्षेत्र को राहत पहुंचायेगा बल्कि बैंकों के लिये भी उनके बहीखातों को ठीक करने में मदद देगा। हीरानंदानी ने लगातार दो बार रेपो दर को यथावत छोड़ दिए जाने पर निराशा जताते हुए कहा कि इससे लगता है कि रिजर्व बैंक की निगाहें अब मुद्रास्फीति लक्ष्य पर ही हैं।

जमा बीमा बढ़ने से बैंक के बही-खाते पर असर नहीं

मुंबई – रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बी कानूनगो ने गुरुवार को कहा कि जमा बीमा पांच गुना बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने से बैंकों के बही खाते पर असर नहीं पड़ेगा। हाल में पीएमसी बैंक समेत कई सहकारी बैंकों के विफल होने को देखते हुए बजट में निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को बीमा दायरा एक लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने को मंजूरी दी गई। कानूनगो ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाताओं से कहा कि जमा बीमा की समीक्षा से बैंक के बही-खातों पर बहुत असर नहीं होगा। पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉआपरेटिव (पीएमसी) बैंक में संकट को देखते हुए जमा बीमा दायरा बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही थी।