कश्मीरी नेताओं के हिरासत के छह माह पूरे

By: Feb 6th, 2020 12:02 am

370 खत्म करने के साथ ही घाटी में नजरबंद किए थे राजनीतिक दलों के नेता

श्रीनगर  – केंद्र सरकार की ओर से गत वर्ष पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने के साथ ही घाटी में हिरासत में लिए गए तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के 20 से अधिक नेताओं ने छह माह की अवधि पूरी कर ली है। पूर्व मुख्यमंत्रियों में डा. फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती शामिल हैं जिन्हें पांच अगस्त से धारा 170 के तहत एहतियातन हिरासत या नजरबंद किया गया है। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं श्रीनगर से सांसद डा. अब्दुल्ला को नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत पहले तीन माह के लिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि उन्हें धारा 170 के तहत बंद किए जाने को एमडीएमके के नेता वाइको ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। वाइको डा. अब्दुल्ला को अपने गृह राज्य में एक कार्यक्रम में ले जाना चाहते थे। डा. अब्दुल्ला की पीएसए के तहत हिरासत अवधि बाद में और तीन माह की बढ़ा दी गई। हिरासत में बंद अन्य प्रमुख नेताओं में कई पूर्व मंत्री, पार्टी प्रमुख एवं पूर्व विधायक शामिल हैं। इनमें पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन भी शामिल हैं जो पीडीपी-भारतीय जनता पार्टी सरकार में भाजपा के कोटे से मंत्री भी रहे थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के टॉपर रहे और अब राजनेता डा. शाह फैसल और पूर्व मंत्री नईम अख्तर भी अबतक हिरासत में हैं। आश्चर्यजनक रूप से अबतक किसी भी अन्य हिरासती नेता ने अपने हिरासत को चुनौती नहीं दी है। इनमें से कई नेताओं ने बगैर अपनी पार्टी की अनुमति के विभिन्न देशों के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल और राज्यपाल जी सी मुर्मू से मुलाकात भी कर ली है।

कुछ पूर्व मंत्रियों को किया था रिहा

उमर अब्दुल्ला और मुफ्ती समेत अधिकांश नेताओं की हिरासत अवधि बुधवार को छह माह पूरी हो गई। इन सभी को धारा 170 के तहत ही हिरासत में लिया गया है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को अधिकतम छह माह तक हिरासत में रखने का प्रावधान है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन नेताओं को किसी नई धारा के तहत या पीएसए के तहत उन्हें बुक किया जा सकता है। पिछले दो माह के दौरान कुछ पूर्व मंत्रियों एवं विधायकों समेत करीब 25 नेताओं को इस शर्त पर रिहा किया गया जब उन्होंने लिखित में सहमति दे दी कि वे अब विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने पर कोई सवाल या चर्चा नहीं करेंगे करेंगे।


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