किसानों की काया पलटेगा लैवेंडर

कुल्लू के किसानों ने दिखाई खेती में रूचि, रोपे 20 हजार से अधिक पौधे

भुंतरस्पेन-फ्रांस जैसे देशों में सबसे ज्यादा पैदा होने वाला हर्बल पौधा लैवेंडर अब कुल्लू सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी बड़े पैमाने पर उगेगा। जानकारी के अनुसार कुल्लू में जनवरी व फरवरी माह में ही करीब 20 हजार से अधिक लेवेंडर के पौधों को दर्जनों किसानों ने रोपा है और इसकी खेती में रूचि दिखाई है। इस विदेशी हर्बल पौधे की बड़े स्तर पर खेती करने के लिए चंबा के बाद कुल्लू के किसानों ने बड़़े स्तर पर की है, तो सरकार ने भी इसके उत्पादन की दिशा में संकेत दिए हैं। लिहाजा, आने वाले सालों में लेवेंडर प्रदेश के किसानों की काया पलट सकता है। बता दें कि लेवेंडर पुदीना परिवार का एक पौधा है, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयों और अन्य उत्पादों में किया जाता है। लैवेंडर के पौधे का तेल खाने के साथ साबुन, इत्र और सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग होता है, तो कई तरह की बीमारियों के रोकथाम में भी किया जाता हैं। देश में लेवेंडर की करीब 40 टन से अधिक की मांग को वर्तमान में आयात के जरिए पूरा किया जा रहा है। देश में श्रीनगर सबसे ज्यादा लेवेंडर उत्पादन के लिए मशहूर माना जाता है। लेवेंडर की खेती के लिए ठंडा मौसम उपयुक्त होता है तो कम बारिश में भी यह पैदा हो सकती है। जानकारी तो यह भी है कि इंवैस्टर मीट के दौरान एक कंपनी ने भी प्रदेश में लेवेडर से संबंधित उद्योग के लिए पहल की है और सरकार को यह पसंद भी आई है।

वन समृद्धि योजना के तहत भी होगी खेती

जिला के वन समृद्धि, जन समृद्धि सीयूजी ओसन के प्रधान प्रभात डडवाल और सचिव एच एल ठाकुर के अनुसार अगर लेंवेडर का प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले सालों में वन समृद्धि योजना के तहत मिले वन क्षेत्र में भी उक्त हर्बल पौधे को लगाया जाएगा।