कोरोना वायरस के प्रहार से हाहाकार,दवाइयों पर मार

By: Feb 19th, 2020 12:07 am

नई दिल्लीकोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने का असर चीन के साथ अब भारत पर भी दिखने लगा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से सप्लाई बाधित होने की वजह से भारत में पैरासिटामॉल दवाओं की कीमत 40 प्रतिशत बढ़ गई है। जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज आर पटेल का कहना है कि बैक्टीरिया इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन की कीमतें 70 प्रतिशत बढ़ गई हैं। पटेल ने बताया कि अगले महीने के पहले सप्ताह तक चीन से सप्लाई शुरू नहीं हुई, तो पूरी फार्मा इंडस्ट्री में इंग्रीडिएंट्स की कमी हो सकती है। एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) के आयात के लिए भारत की चीन पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। किसी भी दवा को बनाने के लिए एपीआई सबसे अहम कंपोनेंट हैं। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलीजेंस एंड स्टैस्टिक्स के मुताबिक 2016-17 में भारत ने इस एपीआई सेगमेंट में 19,653.25 करोड़ रुपए का आयात किया, इसमें चीन की हिस्सेदारी 66.69 प्रतिश रही। 2017-18 के दौरान भारत का आयात 21,481 करोड़ रुपए रहा और चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 68.36 प्रतिशत हो गई। 2018-19 में एपीआई और बल्क ड्रग आयात 25,552 करोड़ रुपए हो गया।

इसलिए चीन पर निर्भर है भारत

रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स के मुताबिक लागत और आर्थिक वजहों से भारत, चीन से एपीआई और बल्कि ड्रग्स का आयात करता है। लागत के हिसाब से चीन से आने वाले एपीआई और बल्क ड्रग्स भारतीय फार्मा मैन्युफैक्चरर्स के लिए फायदेमंद हैं। फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि चीन में एपीआई प्रोडक्शन की लागत भारत से 20-30 फीसदी कम है। भारत में एपीआई प्रोडक्शन यूनिट अपनी क्षमता के मुकाबले 30 फीसदी तक काम कर रही हैं, जबकि चीन में एपीआई प्रोडक्शन यूनिट अपनी क्षमता के मुकाबले 70 फीसदी तक काम कर रही हैं। भारत में एपीआई मैन्युफैक्चरिंग पर प्रॉफिट मार्जिन बहुत कम होने की वजह से भारतीय फार्मा इंडस्ट्री चीन से एपीआई का आयात करती है और यहां दवाएं बनाकर दूसरे देशों को निर्यात करती है।


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