खून-पसीने की कमाई सब खत्म

गगरेट –कृषि सहकारी सभा दियोली में मुश्किल दिनों के लिए अपने खून-पसीने की कमाई को जमा करने वाले खून के आंसू पीने को मजबूर हो गए हैं। यहां अपनी जमापूंजी रखने वाले कई मनरेगा मजदूर हैं, तो कई ऐसी महिलाएं जिनके सिर से पति का साया उठ गया है। ऐसे खाताधारकों ने यही सोचकर यहां अपने जीवन की कमाई जमा करवाई थी कि मुश्किल दौर में ये उनके काम आएगी, लेकिन अब जब वे अपनी जमापूंजी निकलवाने के लिए सभा कार्यालय पहुंच रहे हैं, तो उन्हें रुस्वाई ही हाथ लग रही है। खाताधारक अपने ही पैसे वापिस पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, तो यहां उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर देने वाला भी नहीं मिल रहा है। दियोली गांव के विचित्र सिंह मनरेगा के तहत मजदूरी करते हैं। यहां मिलने वाली दिहाड़ी के पैसे भी उन्होंने बचा-बचा कर कृषि सहकारी सभा में जमा करवाए थे, लेकिन अब जब वह पाई-पाई के लिए मोहताज हैं तो उन्हें लग रहा है कि जैसे वह लुट गए हों। यही हाल मनरेगा मजदूर पवन कुमार का है। सभा की खाताधारक मीना कुमारी ने भी यही सोचकर यहां पैसे जमा करवाए थे कि मुश्किल दौर में काम आएंगे, लेकिन अब वह भी अपने ही जमा पैसे को वापिस पाने के लिए धक्के खा रही है। हैरत की बात यह है कि खाताधारक इस घोटाले की निष्पक्ष जांच करवा दोषियों से उनके पैसे की भरपाई करने के लिए दर-ब-दर की खाक छान रहे हैं। लेकिन जैसा रवैया शासन व प्रशासन द्वारा अख्तियार किया गया है उससे लग रहा है कि इसकी जांच को लेकर किसी की दिलचस्पी ही नहीं है। कहने को जनमंच सरकार का लोकप्रिय कार्यक्रम है, जिसके माध्यम से आम आदमी की समस्याओं का त्वरित निपटारा किया जाता है लेकिन जब ये मुद्दा जनमंच में उठा तो खाताधारकों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे पद पर बैठे जिम्मेदार लोगों के कहने के बावजूद तीन माह बाद भी इस मामले की जांच का जिम्मा विजिलेंस विभाग को नहीं मिल पाया, तो वहीं गगरेट पुलिस द्वारा इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद भी जांच आगे नहीं बढ़ पाई। उधर, विधायक राजेश ठाकुर का कहना है कि घोटाले की उच्च स्तरीय जांच के लिए मुख्यमंत्री से मांग की जाएगी।