डाक्टरों के पद खाली…मेडिसिन-आर्थो ओपीडी में ताला

जिला का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बना डिस्पेंसरी; आधा दर्जन विशेषज्ञों की कुर्सियां खाली, मरीज परेशान

धर्मशाला – एक तरफ हिमाचल प्रदेश सरकार को पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में दूसरे पायदान में रहने का पुरस्कार मिलता है, तो वहीं प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला को इस समय विशेषज्ञ डाक्टरों के इलाज की सख्त जरूरत है। स्मार्ट सिटी धर्मशाला का अस्पताल स्पेशलिस्ट डाक्टर न मिल पाने के कारण खुद ही बीमार होने की स्थिति में पहुंच गया है। इतना ही नहीं, धर्मशाला अस्पताल में मेडिसिन एमडी व ऑर्थो के महत्त्वपूर्ण ओपीडी में एक भी डाक्टर न होने के कारण पूरी तरह से बंद होकर ताला ही लग गया है। इसके अलावा अस्पताल में आधा दर्जन के करीब मुख्य ओपीडी में एकमात्र विशेषज्ञ होने के कारण धर्मशाला सहित आसपास के क्षेत्र के लोगों को भी बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। कभी डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज का जिम्मा संभालने वाले अस्पताल को अब डिस्पेंसरी के रूप में बदल दिया गया है। धर्मशाला में महत्त्वपूर्ण ओपीडी मेडिसन एमडी व ऑर्थो पूरी तरह से बंद है, जबकि गायनी, चर्म रोग एवं मनोचिकित्सक में विशेषज्ञ डाक्टर की कमी चल रही है। इसमें एक ही डाक्टर के अवकाश पर होने व रात्रि व सुबह के सत्र में ड्यूटी होने पर ओपीडी बंद हो रही है। हालांकि विशेषज्ञ डाक्टरों के स्थान पर जनरल डाक्टरों को बैठाकर ही काम चलाया जा रहा है।  धर्मशाला अस्पताल में कुल डाक्टरों के 37 स्वीकृत पद हैं, जिसमें अब 27 पदों पर चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।   स्मार्ट सिटी का अस्पताल बन गया रैफर टू टांडा हास्पिटल जिला मुख्यालय धर्मशाला में चलने वाला अस्पताल टांडा के बाद सबसे अधिक क्षेत्रों के मरीजों के लिए सुविधा प्रदान करता है। जिला ही नहीं, पड़ोसी जिला चंबा के मरीज भी इलाज करवाने के लिए धर्मशाला में पहुंचते हैं। लेकिन सरकार व स्वास्थ्य विभाग पहले मेडिकल कालेज को टांडा भेजने और अब भी विशेषज्ञ डाक्टरों के पदों को भरने की बजाय तबादले करने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं। इसके कारण स्मार्ट सिटी की अस्पताल रैफर टू टांडा हास्पिटल बन गया है। इतना ही नहीं, लोगों को निराश होकर बिना इलाज करवाए ही घर लौटना पड़ता है।

ये ओपीडी राम भरोसे

क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला में अति महत्त्वपूर्ण ओपीडी ही राम भरोसे

चल रही है। इनमें एक मात्र डाक्टर ही अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, इनके अवकाश व अन्य स्थान पर ड्यूटी होने पर मरीजों को बेहाल होना पड़ रहा है। इनमें मेडिसिन व आर्थो ओपीडी पूरी तरह से बंद, गायनी में एक, आर्थो में एक, चर्म रोग में एक और मनोचिकित्सक भी एक पद के सहारे चल रही है