तिब्बत में छिपा है तंत्र ज्ञान

By: Feb 1st, 2020 12:20 am

वह एक गलियारे का दरवाजा था। गलियारे के अंत में सीढि़यों पर धीमा-धीमा प्रकाश था और उनके पीछे मैं भी था। सीढि़यां चढ़कर ऊपर आते ही हरियाली-भरा एक छोटा-सा मैदान दिखाई दिया। वह चारों ओर से काफी लंबी चट्टानों से घिरा हुआ था। लामा गुरु छेरिंग सामने मैदान की ओर गए। कुछ फासले से मैंने देखा कि नीम के पेड़ के नीचे एक बहुत बड़ा अलाव जल रहा है और उस पर एक कढ़ाह चढ़ा हुआ है…

-गतांक से आगे…

दो सौ वर्ष पूर्व हमारे गुरु कह गए थे कि एक दिन तिब्बत पर पीले राक्षसों का भयंकर आक्रमण होगा और हमें इसे रोकना है, पर प्रकृति के पूर्व निर्धारित नियम को भंग करना होगा। उसे हम कैसे तोड़ दें? नहीं यह सब हमें भोगना है और हम अवश्य भोगेंगे।’ वह उठ गए। वे अचानक चौंक गए। वहीं से चीख उठे- ‘ठुनठुन यह क्या कर रहे हो?’ और वह बड़ी तेजी से भागे। एक पल को तो मैं अवाक रह गया, पर तुरंत ही उनके पीछे लपक लिया। शायद गोम्फा में कुछ अशुभ घट गया है जिसका पूर्वाभास पाते ही लामा छेरिंग एकाएक लपक गए हैं। वह एक दरवाजा खोलकर सीधे चढ़ते चले गए। वह एक गलियारे का दरवाजा था। गलियारे के अंत में सीढि़यों पर धीमा-धीमा प्रकाश था और उनके पीछे मैं भी था। सीढि़यां चढ़कर ऊपर आते ही हरियाली-भरा एक छोटा-सा मैदान दिखाई दिया। वह चारों ओर से काफी लंबी चट्टानों से घिरा हुआ था। लामा गुरु छेरिंग सामने मैदान की ओर गए। कुछ फासले से मैंने देखा कि नीम के पेड़ के नीचे एक बहुत बड़ा अलाव जल रहा है और उस पर एक कढ़ाह चढ़ा हुआ है। उस कढ़ाह में न जाने क्या खदखद-खदखद करता खौल रहा था। नीम के पेड़ से ही एक चौदह-पंद्रह वर्षीय बालक को बांधकर खड़ा कर दिया गया था। उसके पैर बांध दिए गए थे और दोनों हाथों को भी पीछे की तरफ घुमाकर बांध दिया था। पैरों से लेकर कमर तक वह पेड़ से बंधा था। उसके चेहरे पर एक अजीब-सा लेप लगा हुआ था। लड़के की आंखों से ऐसा लग रहा था, शायद वह बहुत घबराया हुआ है। रह-रहकर भय के कारण वह अपने सूख गए होंठों को जीभ से तर कर रहा था। लामा गुरु छेरिंग कुछ दूरी से चिल्लाए- ‘ठुनठुन, त्रिजटा का लेप किया था इसको?’ कढ़ाह के पास एक ठिगना-सा लामा खड़ा था। उसके हाथ में एक चमचमाता त्रिशूल था। वह उस लड़के को बड़े ध्यान से देख रहा था। अचानक लामा गुरु छेरिंग की आवाज सुनकर वह चौंक गया। उसने पलटकर देखा। तब तक लामा गुरु छेरिंग उसके एकदम पास आ गए थे। उन्होंने अपनी बात फिर से दोहरा दी- ‘त्रिजटा…।’ लामा ठुनठुन जैसे चौंक गया। उसका चेहरा संगीन हो गया। शायद अपनी गलती महसूस कर ली थी उसने। फिर उसका सिर झुक गया। ‘मैं सब देख रहा था। अगर मैं तुम लोगों का ध्यान न रखूं तो न जाने तुम लोग क्या कर बैठो।’ लामा ठुनठुन अत्यधिक विनीत मगर भयभीत स्वर में बोला- ‘मैं भूल गया था गुरुवर।’ ‘तुम उठो। आखिर यह काम मुझे ही करना होगा।’


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App