दिल्ली हिंसा पर गरमाई सियासत

By: Feb 27th, 2020 12:05 am

कांग्रेस ने केंद्र सरकार को दोषी ठहराया; शाह के इस्तीफे की उठाई मांग, भाजपा का पलटवार

नई दिल्ली – दिल्ली हिंसा पर सियासी घमासान शुरू हो चुका है। कांग्रेस और वाम दलों ने राजधानी में तीन दिनों से जारी हिंसा की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया है और गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है, जबकि भाजपा ने विपक्षी दलों के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें राजनीति न करने की सलाह दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने हिंसा की इन घटनाओं के लिए भाजपा को सीधे दोषी ठहराया है और इसे षड्यंत्र की कार्रवाई बताया है और पुलिस की इसमें मिलीभगत होने का आरोप लगाया है। इस बीच, कांग्रेस ने पार्टी मुख्यालय से राजघाट तक शांति मार्च निकाला और गुरुवार को वह राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी सौंपेगी और इस घटना की तरफ ध्यान आकर्षित करेगी एवं सरकार को कार्रवाई करने के निर्देश देने की अपील करेगी। माकपा सचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, तथा राकांपा और द्रमुक तथा अन्य दलों के नेताओं ने 28 फरवरी को राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। वाम दलों ने सेना को तैनात करने और कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने तथा दंगा प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है। वाम दलों ने भी इस मामले में राष्ट्रपति से मिलने की मांग की है। उच्चतम न्यायालय से इस मामले में संज्ञान लेकर जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की बीजेपी सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए पांच सवाल पूछे। उन्होंने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी सवाल दागा और पूछा कि वह क्या कर रहे थे? सोनिया ने गृह मंत्री से इस्तीफा भी मांग लिया। दिल्ली हिंसा पर पिछले दिनों बिगड़ी स्थिति के बाद बुधवार को कांग्रेस ने प्रेस कान्फ्रेंस की। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इन हादसों के पीछे एक सोचा समझा षड्यंत्र है, जिसे दिल्ली चुनाव के दौरान भी देखा गया। भाजपा नेता डर और नफरत फैलाने वाले बयान दे रहे हैं। पिछले रविवार को भी एक भाजपा नेता ने ऐसा ही भड़काऊ बयान दिया था। उसने दिल्ली पुलिस को कहा था कि तीन दिन बीतने के बाद हमें कुछ नहीं कहना।

आम आदमी ने नहीं की हिंसा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि राजधानी के लोग हिंसा नहीं चाहते हैं और जो उपद्रव हुआ है वह ‘आम आदमी’ ने नहीं किया है और हालात को काबू में करने के लिए सेना को बुलाया जाना चाहिए। श्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में हिंसा हुई है उसके पीछे कुछ असामाजिक तत्त्वों, कुछ राजनेता और बाह्य लोगों का हाथ है। दिल्ली के हिंदू हों या मुस्लिम वह कभी भी संघर्ष नहीं चाहते हैं। सीएम ने हिंसा पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए कहा कि मैं फिर से गृहमंत्री से अपील करता हूं कि दिल्ली में हालात को काबू करने  के लिए आर्मी को बुलाया जाए।

पूछे पांच सवाल

1- पिछले रविवार से देश के गृह मंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे?

2- रविवार से दिल्ली के मुख्यमंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे?

3- दिल्ली चुनाव के बाद इंटेलिजेंस एजेंसी के द्वारा क्या जानकारी दी गई और उन पर क्या कार्रवाई हुई?

4- रविवार की रात से कितनी पुलिस फोर्स दंगों वाले इलाकों में लगाई गई, जबकि ये साफ था कि दंगे और ज्यादा फैलने वाले हैं?

5- जब दिल्ली में हालात बेकाबू हो गए थे, पुलिस का कंट्रोल नहीं बचा था, तब तुरंत एक्शन की जरूरत थी। उस समय अतिरिक्त सुरक्षा फोर्स लगानी चाहिए थी, ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके। शांति कमेटी बनाई जानी चाहिए थी, ताकि कोई और ऐसी घटना न हो। मुख्यमंत्री को प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों से बात करनी चाहिए थी। ऐसा क्यों नहीं हुआ?

हिंसा का राजनीतिकरण  कर रही कांग्रेस

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सोनिया गांधी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण और आलोचना के लायक है। जिस समय में हर पार्टी को एकजुट होकर दिल्ली में शांति लाने के बारे में कदम उठाने चाहिए, उस समय कांग्रेस की ओर से सरकार पर ऐसे आरोप लगाना गंदी राजनीति है। हिंसा का राजनीतिकरण करना बिलकुल गलत है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भी कांग्रेस ने ऐसे ही सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा कि शाह कहां थे। उन्होंने कल सभी पार्टियों के साथ एक बैठक की, जिसमें कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। कांग्रेस का बयान पुलिस के मनोबल को तोड़ने वाला है।

सोनिया गांधी की टिप्पणी अनुचित और असमय

सोनिया गांधी के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा है कि सोनिया गांधी की टिप्पणी अनुचित और असमय है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तनाव पर कांग्रेस राजनीति कर रही है। कांग्रेस विपक्ष में नहीं है। परिवार के सामने उसे कुछ दिखाई नहीं देता है। राहुल गांधी को दूसरी लाइन में बैठा दिया गया था, तो कांग्रेस ने बवाल मचाया, लेकिन भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष को यूपीए सरकार ने आठवीं लाइन में बैठाया था। इनके सामने देशहित भी छोटा होता है। कांग्रेस ऐसी सस्ती और हल्की राजनीति बंद करें।

दिल्ली पुलिस की विफलता दिखाती है हिंसा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा स्थानीय पुलिस की विफलता को दिखाता है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उत्तर- पूर्वी दिल्ली में हिंसा चाहे (गृह राज्य मंत्री के मुताबिक) भड़काई गई या स्वतःस्फूर्त (गृह मंत्री के मुताबिक) भड़की हो, सरकार का कर्त्तव्य है कि वह हिंसा को समाप्त करे। चिदंबरम ने दावा किया कि हिंसा सोमवार से जारी है और अब भी हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। यह दिल्ली पुलिस की भारी विफलता को दर्शाता है।

कपिल मिश्रा का भाषण शर्मनाक, सरकार का कुछ नहीं करना और भी शर्मनाक

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वढेरा ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा के बयान को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि सरकार का इस पर कुछ नहीं करना और भी अधिक शर्मनाक है। प्रियंका ने कहा कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने जो कहा है वह शर्मनाक है, लेकिन सरकार का इस पर कुछ नहीं करना और भी अधिक शर्मनाक है। उन्होंने दिल्ली के लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि हिंसा से सिर्फ आप लोगों को पीड़ा होगी और सिर्फ आप लोगों का नुकसान होगा।


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