देव माहूंनाग करते हैं जादू-टोने का इलाज

मंडी – जिला मुख्यालय से 35 किमी की दूरी पर चच्योट तहसील के तरौर गांव की पहाड़ी पर स्थित देव माहूंनाग का मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। तरौर गांव की पहाड़ी पर समाहित दो पत्थरों के प्राचीन चबूतरे मिले थे, उनमें से एक चबूतरा आज भी इतिहास का प्रमाण है तथा दूसरे चबूतरे पर मंदिर का निर्माण करवाया गया। मान्यता है कि इस ऐतिहासिक स्थल पर आज भी सांप के काटे हुए और पागल कुत्ते द्वारा काटे हुए लोग पत्थरू (बांधा) रखकर तथा देवता का चरणामृत व विभूति लगाकर ठीक हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त जादू टोना, भूत-प्रेत से ग्रसित लोगों का इलाज भी मंदिर में किया जाता है। हजारों श्रद्धालुओं का मानना है कि देवता उनकी समस्त मन्नतें पूरी करते हैं। चैत्र व आश्विन नवरात्र में देवता का मेला लगता है और राम नवमी को दुर्गा पाठ के साथ-साथ भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। भाद्र शुक्ल पंचमी को देवता के जन्म उत्सव के रूप में नाग पंचमी समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें कीर्तन व भंडारे का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि मंडी के राजा ने रियासत काल में देवता को शासन तथा राजमहल में बैठने को स्थान देना चाहा, परंतु देवता ने शासन तथा जागीर को ठुकरा दिया। देवता मंडी को अपना प्रत्यक्ष प्रमाण देकर रियासत काल से शिवरात्रि मेले में लगातार जाते रहे हैं तथा कुलदेवी रूपेश्वरी की यज्ञशाला में विराजमान होते हैं।