नियामक आयोग के आफिस पर बोला हल्ला

By: Feb 27th, 2020 12:20 am

शिमला में फर्जी डिग्री मामले पर एसएफआई ने किया जोरदार प्रदर्शन, फर्जी डिग्री देने वाले संस्थानों को बंद करने की मांग

शिमला-फर्जी डिग्री देने के मामले पर छात्र संगठनों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी के तहत बुधवार को एसएफआई इकाई ने शिक्षा नियामक आयोग के कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। वहीं, आयोग के सदस्यों सहित प्रदेश सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी की। इस दौरान एसएफआई कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पूरे देश व प्रदेश के सरकारी सरंक्षण में निजी शिक्षण संस्थान शिक्षा को बाजार की वस्तु बनाने में तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही मेंं लगभग पांच लाख फर्जी डिग्रीयों का मामला जब संज्ञान में आया है, जो निजी उच्च शिक्षा नियामक आयोग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। एसएफआई ने कहा कि 2011 से नियामक आयोग की जिम्मेदारी है कि निजी शिक्षण संस्थानों में किसी भी नियम का उल्लंघन हो रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई करके दंडित करने की। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि हैरानी की बात तो यह है कि नियामक आयोग ने पिछले सात सालों में किसी भी निजी संस्थान का निरीक्षण नहीं किया है। यह पूरा काम राज्य सरकार के संरक्षण में हो रहा है, क्योंकि सरकार शिक्षा के प्रति संजिदा ही नहीं है। प्रदेश का एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय है, जिसे भी लगातार प्रदेश सरकार खत्म करने की कोशिश कर रही है। पिछले लंबे समय से निजी शिक्षण संस्थानों में फर्जी डिग्रीयों का गोरख धंधा चल रहा था, लेकिन हिमाचल प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग इस बात से अनभिज्ञ था। एसएफआई कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह मामला भी तब सामने आया जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को लिखित में शिकायत की गई, उसके बाद 31 दिसंबर 2019 को यूजीसी ने प्रदेश सरकार को सूचित कर दिया था, लेकिन दो महीनों में भी न प्रदेश सरकार ने और न नियामक आयोग ने इस बात का संज्ञान लिया। अभी तक भी फर्जी डिग्री मामले की जांच शुरू नहीं हुई है। सरकार खुद सरकारी शिक्षा के बजाय निजी शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, लेकिन इस तरह के मामले सरकार की ही गलती है। एसएफआई ने कहा कि निजी शैक्षणिक संस्थान भी सरकारों के चहेतों के ही होते हैं तथा चुनावों में वे चहेते प्रचार में भी खूब मदद करते हैं। एसएफआई ने मांग उठाई है कि इस मामले की न्यायिक जांच करवाई जाए तथा दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। नियामक आयोग निजी उच्च शिक्षा संस्थानों का समय-समय पर निरीक्षण करे। बता दें कि एसएफआई ने नियामक आयोग कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और आयोग के दो सदस्यों को ज्ञापन भी सौंपा गया और साथ ही यह मांग की गई कि अगर इन मुद्दों पर आने वाले समय के अंदर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो एसएफआई प्रदेशव्यापी आंदोलन के अंदर जाएगी, जिसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार होगी।

 


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