पीजीटी हिंदी का एग्जाम रद्द

By: Feb 22nd, 2020 12:02 am

‘दिव्य हिमाचल’ के गड़बड़ी सामने लाते ही पब्लिक सर्विस कमीशन ने लिया फैसला

शिमला – हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन ने पीजीटी (स्कूल लेक्चरर) हिंदी का एग्जाम रद्द कर दिया है। अब 7000 अभ्यर्थियों को दूसरी बार परीक्षा देनी होगी। पब्लिक सर्विस कमीशन की लापरवाही अब एक बार फिर से छात्रों पर भारी पड़ गई है। बता दें कि 16 फरवरी को पीजीटी (स्कूल लेक्चरर) हिंदी का एग्जाम लगभब सात हजार छात्रों ने दिया था। इस परीक्षा में बड़ी खामी सामने आई थी, जिसमें दो साल पहले हुए जिला भाषा अधिकारी के प्रश्न पत्र से ही 35 सवाल पूछ लिए गए थे। ‘दिव्य हिमाचल’ ने शुक्रवार के अंक में जब मामला उठाया तो उसके बाद पब्लिक सर्विस कमीशन हरकत में आया। हाई पावर कमेटी का गठन कर उन्होंने प्रश्न पत्रों को मैच किया, तो पाया गया कि इतने सवाल हिंदी लेक्चरर एग्जाम में भी डाल दिए गए थे। यही वजह है कि कमीशन ने एकदम का एग्जाम रद्द कर दिया। गौर हो कि एचपीएससीसी ने दो साल पहले लिए लैंग्वेज ऑफिसर परीक्षा का आधा प्रश्न पत्र हिंदी पीजीटी की परीक्षा में डाल दिया था। यानी 16 फरवरी की पीजीटी हिंदी परीक्षा में अभ्यर्थियों को 35 सवाल वर्ष 2018 में लिए गए लैंग्वेंज ऑफिसर के प्रश्न पत्र से पूछे गए थे। आखिर पब्लिक सर्विस कमीशन से इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई,  यह समझ से परे है। पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा दो साल पहले छापे गए पेपर से इतने सवाल दोबारा पूछे जाना, चहेतों को फायदा पहुंचाने की साजिश भी लग रही है। हालांकि इस मामले पर अब पीजीटी हिंदी की कमीशन की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए है। छात्रों के इन्हीं सवालों की वजह से ही कमीशन को पेपर रिजेक्ट करना पड़ा। आरोप तो यह भी है कि दो साल पुराने प्रश्न पत्र से एक साथ 35 सवालों को पब्लिक सर्विस कमीशन ने जानबूझ कर डाला है। फिलहाल बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। गौर हो कि प्रदेश में पब्लिक सर्विस कमीशन ने लेक्चरर स्कूल हिंदी की परीक्षा 16 फरवरी को आयोजित की थी, जिसमें सात हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। स्कूलों में हिंदी लेक्चरर के मात्र 40 पदों को ही भरा जाना है। अहम यह है कि प्रश्न पत्र गलत छापने के साथ ऐसे कई सवाल पहले भी पब्लिक सर्विस कमीशन पर उठ चुके हैं। ऐसे में अब कमीशन के माध्यम से सरकारी जॉब के लिए अप्लाई करने वाले बेरोजगार युवाओं का भरोसा एचपीएससी की कमीशन परीक्षा से उठने लगा है। इससे पहले भी सरकार से मांग की थी कि कमीशन अपने प्रश्नपत्रों को तैयार करने के आधार को बदले।

पहले भी उठ चुके हैं कई सवाल

पब्लिक सर्विस कमीशन पर प्रश्नपत्रों को लेकर पहले भी कई सवाल उठ चुके है। युवाओं का आरोप यह भी है कि कमीशन के लिए परीक्षाएं लेना और फिर रद्द करना, मजाक बनकर रह गया है। बार-बार एक ही परीक्षा देने से बेरोजगारों को मानसिक तनाव से भी जूझना पड़ रहा है।


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