आईजीएमसी में जाली पत्र से ट्रांसफर प्रकरण के बाद पुलिस, बैंक, जेल, परिवहन विभाग की भी उड़ी नींद
धर्मशाला – फर्जीबाड़े से नौकरी हासिल करने के खेल की परतें एक-एक कर उधड़ने लगी हैं। पुलिस भर्ती, बैंक, जेल और परिवहन के साथ अब स्वास्थ्य महकमे में भी हड़कंप मच गया है। टांडा मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल के फर्जी हस्ताक्षर कर तबादला आदेश लेकर आईजीएमसी पहुंचे आरोपियों के गिरफ्त में आने से इस गिरोह की कई परतें खुलने की उम्मीद जगी है। पुलिस भर्ती मामले में भी ऐसे ही चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। इसके अलावा वर्ष 2017 में चुनावों से ठीक पहले केसीसी बैंक के भी कई फर्जी नियुक्ति पत्रों के आबंटन का मामला सामने आया था। विभिन्न महकमों में फर्जी तरीके से नौकरियां बांटने का खेल खेलने वाले गिरोह के सरगना तक पहुंचना तमाम सरकारी एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है। हर वार फर्जीबाड़े के इस खेल में कांगड़ा को केंद्र बिंदु बनाकर प्रदेश भर में गिरोह के सरगना अपनी नापाक इरादों को कई सालों से अंजाम देते आ रहे हैं। हालांकि पहली मर्तबा पुलिस भर्ती फर्जीबाड़े में पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए गिरोह के मुख्य सरगना को करीब पांच माह की कड़ी मशक्त के बाद गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कांगड़ा के जवाली निवासी विक्रम चौधरी के पकड़े जाने से पुलिस, जेल वार्डर और परिवहन निगम में फर्जी तरीके से भर्ती करवाने के तो राज खुल गए, लेकिन अन्य महकमों की परतें खुलना अभी बाकी है। अब नए मामले के सामने आने के बाद संबंधित संस्थानों के उच्च अधिकारी अनभिज्ञता जता रहे हैं, लेकिन इस मामले को लेकर प्रशासन में हडकंप मच गया हुआ है।
जांच जरूर करवाएंगे
टीएमसी के प्रिंसीपल डा. भानू अवस्थी और टीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. सुरेंद्र भारद्वाज का कहना है कि उनके संस्थान में इस तरह की किसी घटना की जानकारी संबंधी कोई दस्तावेज उनके सामने नहीं आए हैं, लेकिन वे ऐसे मामलों के प्रति संजीदा हैं। भविष्य में जरूरत पड़ी तो मामले की जरूर जांच करवाई जाएगी।
हर पहलू की छानबीन
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विमुक्त रंजन का कहना है कि टांडा मेडिकल कालेज के एक उच्च अधिकारी ने उनसे संपर्क किया था, लेकिन इस मामले में उनके पास जांच के लिए अभी कोई आदेश नहीं पहुंचे हैं। पूर्व में हुई घटनाओं के सहारे ऐसे मामलों में संलिप्त सरगनाओं तक पहुंचने के लिए हर पहलू की बारीकी से छानबीन की जा रही है।