फिर जागा हिंदू आतंकवाद का जिन्न

By: Feb 19th, 2020 12:03 am

पूर्व पुलिस कमिश्नर मारिया की किताब में दावा, लश्कर ने भगवा आतंकवाद का रूप देने को कसाब की कलाई पर बांधा था कलावा

नई दिल्ली26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब अगर मौके पर ही मारा जाता तो आज दुनिया इस घटना को शायद हिंदू आतंकवाद मान रही होती। 26/11 अटैक को अंजाम देने वाला पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तोएबा ने इसे भारत के ही हिंदुओं की ओर से किए गए आतंकवादी हमले का रूप देने की बेहद खतरनाक साजिश रची थी। इसके लिए कसाब की कलाई पर हिंदुओं का पवित्र धागा ‘कलावा’ बांधा गया और पहचान पत्र (आईडी) में बंगलूर निवासी बताते हुए समीर दिनेश चौधरी नाम दिया गया था। इस साजिश में गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की भी मिलीभगत थी। पांव तले जमीन खिसका देने वाले ये सारे सनसनीखेज खुलासे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी पुस्तक ‘लेट में से इट नाउ’ में किए हैं। मारिया के मुताबिक, मुंबई हमले की साजिश 27 सितंबर, 2008 को रची गई थी। उस दिन रोजे का 27वां दिन था। पूर्व पुलिस कमिश्नर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अगर लश्कर का प्लान सफल हो जाता तो सारे अखबार और टीवी चैनलों पर हिंदू आतंकवाद की हेडिंग ही दिखती। उन्होंने लिखा कि तब अखबारों की हेडलाइंस चीख रही होतीं कि कैसे हिंदू आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया। अलबत्ता बंगलूर में उसके (कसाब के) परिवार और पड़ोसियों के इंटरव्यू के लिए टीवी पत्रकारों की लाइन लग गई होती, लेकिन साजिश पर पानी फिर गया और (फर्जी बंगलूर निवासी समीर दिनेश चौधरी) हकीकत में पाकिस्तान के फरीदकोट का अजमल आमिर कसाब निकला। मारिया की किताब आने से पहले भी खबरों में बताया जा चुका है कि मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादियों के पास हैदराबाद के अरुणोदय कालेज के आईडी कार्ड्स थे। मारिया का कहना है कि कसाब की तस्वीर मुंबई पुलिस ने नहीं केंद्रीय एजेंसियों ने लीक की थी। उनका कहना है कि मुंबई पुलिस ने तो कसाब की सुरक्षा को खतरे की आशंका में उसकी पहचान उजागर नहीं होने देने की कड़ी भरपूर कोशिश की। मारिया ने कहा कि वह कसाब से हर दिन पूछताछ करते थे। कुछ दिनों बाद कसाब उनके साथ सहज हो गया और उन्हें जनाब कहने लगा।

दाऊद गैंग को मिली थी अजमल की सुपारी

मारिया का कहना है कि कसाब को जिंदा रखना उनकी पहली प्राथमिकता थी। उन्होंने लिखा कि मुंबई पुलिस में उसके खिलाफ गुस्सा और रोष की कोई सीमा नहीं थी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस और लश्कर उसे किसी भी तरह खत्म करना चाहते थे, क्योंकि वह पाकिस्तान की करतूतों पर पर्दा उठाने वाला अकेला जिंदा सबूत था। मारिया का दावा है कि कसाब को खत्म करने की जिम्मेदारी दाऊद इब्राहिम गैंग को दी गई थी।

शीना बोरा मर्डर को लेकर भी कई खुलासे

मारिया ने अपनी आत्मकथा में शीना बोरा मर्डर केस को लेकर भी कई बड़े दावे किए हैं। मारिया ने दावा किया है कि 2015 में शीना बोरा मर्डर केस की जांच के दौरान शुरुआत में संयुक्त पुलिस आयुक्त (लॉ एड्डड ऑर्डर) देवेन भारती ने यह खुलासा नहीं किया था कि वह मामले के मुख्य संदिग्ध पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी को जानते थे।

नमाज पढ़ते लोगों को देख दंग रह गया था कसाब

पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर ने लिखा कि कसाब को पक्का यकीन था कि भारत में मस्जिदों पर ताले जड़ दिए गए हैं और यहां मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है। जब उसे क्राइम ब्रांच के लॉक-अप में रखा गया तो उसे अजान की आवाज सुनाई देती थी। तब उसे लगता है कि यह सच नहीं, उसके दिमाग की उपज है। मारिया लिखते हैं कि जब मुझे यह पता चला तो मैंने महाले (जांच अधिकारी रमेश महाले) को एक गाड़ी में मेट्रो सिनेमा के पास वाली मस्जिद ले जाने को कहा। मारिया कहते हैं कि कसाब ने जब मस्जिद में नमाज पढ़ते लोगों को देखा तो दंग रह गया।


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