फुलैरा दूज : राधा-कृष्ण की पूजा का दिन

By: Feb 22nd, 2020 12:27 am

फुलैरा दौज अथवा फुलैरा दूज हिंदू धर्म के प्रसिद्ध त्योहारों में से है। बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाया जाता है।  ज्योतिष जानकारों की मानें तो फुलैरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती।

महत्त्व

फुलैरा दूज मुख्य रूप से बसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है। वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है। फुलैरा दूज में मुख्य रूप से श्रीराधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। जिनकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो, उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन पूजा की जाती है।

पर्व मनाने की विधि

शाम को स्नान करके पूरा शृंगार करना चाहिए। राधा-कृष्ण को सुगंधित फूलों से सजाएं। प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें। तत्पश्चात मधुराष्टक या राधा कृपा कटाक्ष का पाठ करना चाहिए। यदि पाठ करना कठिन हो तो केवल राधे-कृष्ण का जाप कर सकते हैं। कृष्ण भक्त इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं। राधे-कृष्ण को गुलाल लगाते हैं। भोग, भजन-कीर्तन करते हैं क्योंकि फुलैरा दूज का दिन कृष्ण से प्रेम को जताने का दिन है। इस दिन भक्त कान्हा पर जितना प्रेम बरसाते हैं, उतना ही प्रेम कान्हा भी अपने भक्तों पर लुटाते हैं।

खुशियां बिखेरने का दिन

फुलैरा दौज को फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन महीने में कई तरह के सुंदर और रंग-बिरंगे फूलों का आगमन होता है और इन्हीं फूलों से राधे-कृष्ण का शृंगार किया जाता है। इसी दिन से लोग होली के रंगों की शुरुआत कर देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान कृष्ण होली की तैयारी करने लगते थे और होली आने पर पूरे गोकुल को गुलाल से रंग देते थे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App