बिलासपुर में ‘क्यों राह में खडे़ हो’

By: Feb 27th, 2020 12:10 am

बिलासपुर –भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय द्वारा संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में प्रातः 11 बजे जिला स्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने की। जबकि मंच का संचालन शीला सिंह ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती का दीप प्रज्वलित कर किया गया। साहित्यकार जीतराम सुमन द्वारा मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। उसके उपरांत प्रदीप गुप्ता ने हास्य रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थी ‘पत्नी बोली पति से, तुम रोज पीकर आते हो‘। हुसैन अली ने ‘मैं दरिया हूं फिर भी प्यासा रहता हूं। रविंद्र शर्मा ने ‘मशीना रे पितिरे आटे रा मजा नी औंदा, मजा औंदा जे पितिरा होए घराटा’। प्रोमिला भारद्वाज ने ‘असंभव कर संभव, सूक्ष्म को बनाए भव्य’। जीतराम सुमन ने मजहब की महफिलें सजने लगी हैं, शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पक्तियां थी जाने ये मानव हैवानियत का पुजारी क्यों हो रहा है’। तृप्ता देवी ने मेला शीर्षक से रचना प्रस्तुत कीं पक्तियां थी ‘रंग लगणा नलवाडि़या रे मेले, ताली जे साण्डू सुकी जाणा’। डा. एआर सांख्यान की रचना की पक्तियां थी डरते वो अब यूं डराने लगे। जावेद इकवाल की पक्तियां थी मेरे सीने पे लरजती लाठियां उखड़ती सांसों की दास्तां हूं। जीवन बिलासपुरी की गजल की पक्तियां थी जिंदगी का सफर और आसां बनें। सुधा हंस ने क्यों राह में खडे़ हो। प्रतिभा शर्मा ने पहाड़ी गीत प्रस्तुत किया ‘ओ सतलुज माए, मठे-उचयमठे बगेयां’। सत्या शर्मा ने  ‘पुलवामा के शहीदों, सहस्त्रनमन है तुम्हें हमारा, प्राणों की आहुति देकर, तिरंगा ऊंचा रखा हमारा’। शीला सिंह ने ‘दर्पण की विवशता’ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पक्तियां थी हे दर्पण अब तो सत्य बोल दे। अंत में जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने सभी साहित्यकारों का इस कार्यक्रम में रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आभार व्यक्त किया और विभागीय परियोजनाओं की जानकारी भी दी तथा नलवाड़ी मेला 2020 की स्मारिका हेतु 29 फरवरी तक साहित्यकारों से लेख उपलब्ध करवाने को कहा। इस अवसर पर इंद्र सिंह चंदेल, रविंद्र कुमार, अमर सिंह और प्यारी देवी इत्यादि दर्शक शामिल रहे।


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