मुश्किल में पाकिस्तान

By: Feb 19th, 2020 12:07 am

टेरर फंडिंग पर एफएटीएफ का ग्रे लिस्ट से निकालने से इनकार

नई दिल्लीटेरर फंडिंग और मनी लांड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फायनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखेगा, यह लगभग तय हो गया है। पेरिस में चल रही बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान का सीधा नाम लिए बिना कहा है कि आतंक के वित्त पोषण पर सख्ती के बावजूद गैरकानूनी गतिविधियों और दुनिया भर में समर्थकों से जुटाए गए धन से कई आतंकवादी समूहों को अब भी फायदा मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार यह बयान पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट बनाए रखने के लिए काफी है। इस बयान के बाद पाकिस्तान की ग्रे लिस्ट से निकलने की उम्मीदें खत्म हो रही हैं। हालांकि बैठक में तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान को अपना समर्थन दिया है, लेकिन इसका भी ज्यादा असर होता नहीं दिखा। इमरान खान ने आतंकवाद की फंडिंग रोकने के कितने सबूत एफएटीएफ  को दिए हैं, उस पर संदेह है। इकलौती उम्मीद मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज मोहम्मद सईद को हाल में दी गई पांच साल की सजा से है। अगर एफएटीएफ  पाकिस्तानी सबूतों से संतुष्ट नहीं हुआ तो उसे ग्रे लिस्ट से ब्लैकलिस्ट में डाला जा सकता है। । दरअसल, एफएटीएफ  ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था। संस्थान ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा था। अगर पाकिस्तान इस प्लान पर ठीक से काम नहीं करता है, तो संस्था उसे ब्लैक लिस्ट कर सकती है। पाकिस्तान पिछले कुछ दिनों से एफएटीएफ को भरमाने में लगा है। 12 फरवरी को आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को सजा सुनाई गई थी। इसके महज पांच दिन बाद मसूद के लापता होने की खबर सामने आई। एफएटीएफ ने मंगलवार को कहा कि आतंकी फंड जुटाने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। वे सोशल मीडिया के जरिए नए फॉलोअर्स की पहचान कर रहे हैं और अपनी फंडिंग और अन्य सुविधाएं जुटाने के रास्ते बना रहे हैं। एफएटीएफ  लगातार नए पेमेंट के तरीकों की पहचान कर अवैध लेन-देन रोकने में जुटा है। संस्था ने टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए कड़े मानक लागू किए हैं, ताकि आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे संगठनों के पैसे जुटाने पर असर पड़े। हालांकि, अब भी कई आतंकी संगठन अवैध गतिविधियों के जरिए फंड जुटाने में लगे हैं।


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