राज्य सहकारी सभाएं एक्ट में संशोधन की तैयारी

बजट सत्र में अधिनियम 1968 का ड्राफ्ट बिल पेश करने के निर्देश

भराड़ी-जयराम सरकार के बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी सभाएं अधिनियम 1968 में 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप अमेंडमेंट किया जा सकता है। विधि विभाग के परामर्श से  संशोधन का ड्राफ्ट बिल पेश करने के निर्देश हुए हैं। राज्य सहकारिता अधिनियम में बदलाव से सहकारी सभाओं का पंजीयन आसान हो जाएगा तथा यह अधिक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक स्वरूप प्राप्त करेंगी। प्रत्येक वर्ष सहकारिता विभाग द्वारा ऑडिटर्स के अधिसूचित पैनल में से किसी के द्वारा सभा के ऑडिट का प्रावधान होगा। यह संशोधन प्रदेश में सहकारी आंदोलन इसकी शुद्धि वृद्धि और समृद्धि के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस संबंध में सहकारिता में कार्य करने वाले अग्रणी संगठन सहकार भारती के प्रांत संगठन प्रमुख डा. विवेक वशिष्ठ, प्रांत उपाध्यक्ष राजेश कपिल, प्रांत संगठन समिति सदस्य विनोद शर्मा ने इस विषय में राज्य सहकारिता अधिनियम में  संशोधन करने का मामला सरकार के समक्ष रखा था। इस संदर्भ में इन्होंने विपुल भाई एम शाह बनाम गुजरात सहकारी दुग्ध सहकारी विपणन संघ में सुप्रीम कोर्ट निर्णय का हवाला भी दिया, जिसके अनुसार कोई भी राज्य सहकारिता अधिनियम जो 97वें सविधान संशोधन के अनुरूप नहीं है 12 जनवरी 2013 के बाद वैध नहीं होगा। इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सहकारिता विभाग को राज्य सहकारिता नियम 1968 में 97वें सविधान संशोधन के अनुरूप अमेंडमेंट का ड्राफ्ट बिल विधि विभाग के परामर्श से आगामी बजट सत्र में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सहकार भारती हिमाचल प्रदेश ने राज्य अधिनियम में संशोधन हेतु विस्तृत प्रपोज़ल दी है, जिसमें अधिनियम के सेक्शन 8, 11, 11 ए, 14  और 61 में संशोधन के बारे में उल्लेख किया गया है। राज्य सहकारिता अधिनियम में बदलाव कर बाद सहकारी सभाओं का पंजीयन आसान हो जाएगा। इसके लिए सहकार भारती के प्रांत पदाधिकारियों राकेश चोपड़ा, सीमा महंत, प्रोमिला चंदेल, उर्मिल भूरिया, यशपाल रनौत, देव दत्त शर्मा, कीर्ति नरेश, संजय वर्मा, आशीष शर्मा, सुनील कुमार, अनिल कुमार, राजकृष्ण, विजय मलांगड़, शीतल भारद्वाज, विक्रम कपूर और अमर भारद्वाज ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, सहकारिता मंत्री डा, राजीव सहजल, केंद्रीय नेतृत्व, राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर, राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य, राष्ट्रीय महामंत्री डा. उदय जोशी और आरबीआई के निदशक व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मराठे और प्रदेश नेतृत्व का धन्यवाद किया है। गौरतलब है कि 97वां संविधान संशोधन की अधिसूचना वर्ष 2011 में हुई थी। इसके द्वारा सविधान का अनुच्छेद 19(1)सी में संशोधन करके सहकारी संस्थाओं का निर्माण करना मौलिक अधिकार बनाया गया था और इसके अलावा राज्य नीति के निदेशक तत्त्व से संबंधित अनुच्छेद 43 (बी) भी जोड़ा गया। इसमें राज्य द्वारा सहकारी सभाओं के स्वैच्छिक निर्माण, स्वतंत्र कार्य, लोकतांत्रिक प्रबंध के लिए हर प्रयास को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है।