रामपुर बुशहर में एजुकेशन दि बेस्ट

By: Feb 24th, 2020 12:05 am

बुशहर रियासत की आखिरी राजधानी रामपुर आज शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रही है। शिमला का यह कस्बा क्वालिटी एजुकेशन देने में माहिर है। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहा रामपुर बुशहर आज एजुकेशन हब बनकर उभरा है। यहां के स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। सैकड़ों-हजारों होनहारों का कल संवार रहे रामपुर बुशहर में क्या है शिक्षा की कहानी, बता रहे हैं हमारे संवाददाता…महेंद्र बदरेल

चार जिलों के ठीक बीच में बसा रामपुर बुशहर आज शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमा रहा है। सभी जिलों के केंद्र रामपुर बुशहर में करीब 14 स्कूल बच्चों का कल संवारने में अहम योगदान दे रहे हैं। यहां निजी स्कूलों की संख्या अधिक है। निजी स्कूलों का रामपुर में खुलना वर्ष 1993 से शुरू हुआ, जो लगातार जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की यह धारणा है कि निजी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सरकारी से बेहतर है, इसलिए वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाना चाहते हैं। अभिभावकों का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चे पढ़कर अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। शिक्षा का हब बन चुके रामपुर बुशहर में लोग अब ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कर चुके हैं। उद्देश्य साफ है कि सभी अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में लगे हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूल इस दौड़ में पीछे हैं। मेन रामपुर में पद्म वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला वर्ष 1919 से शिक्षा का केंद्र बना हुआ है, जबकि रामपुर में वर्ष 1928 में कन्याओं के लिए अलग से स्कूल स्थापित किया गया है। ऐसे में सरकारी तौर पर ये दो स्तंभ शिक्षा का उजाला फैला रहे हैं। इन दोनों स्कूलों में बच्चों की संख्या 800 से अधिक है। यानी किसी भी मत में प्राइवेट स्कूलों को आगे नहीं आंका जा सकता। सरकारी स्कूलों का दबदबा भी लगातार बरकरार है।

गांवों के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी

रामपुर क्षेत्र में मौजूदा समय में 14 सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं, नौ उच्च पाठशालाएं, वहीं 17 माध्यमिक पाठशालाएं चल रही हैं। प्राइवेट स्कूलों की अगर बात करें, तो रामपुर में कुल 20 निजी स्कूल चल रहे हैं। गांवों में सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी के कारण शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। रामपुर शहर से हटकर जितने भी सरकारी स्कूल हैं, वहां शिक्षकों की कमी चल रही है। दुर्गम क्षेत्रों में हालात और भी पतले हैं। वहां तो गिने चुने शिक्षक ही सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों का अपने बच्चों का पलायन शहरों की तरफ करना मजबूरी जैसा बना हुआ है।

प्राइवेट स्कूलों पर है पूरा भरोसा

पहले प्राइवेट स्कूल केवल रामपुर शहर में ही चल रहे थे, वहीं अब इन स्कूलों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ती जा रही है। कारण साफ है कि जहां प्राइवेट स्कूल खुद को बेहतर साबित करने के लिए अच्छी शिक्षा देने की बात करते हैं, वहीं हर विषय का अलग से शिक्षक होना भी फायदेमंद साबित हो रहा है। अभिभावक भी यह सोचकर अपने बच्चों को इन निजी स्कूलों में दाखिला करवा रहे हैं कि भले ही वहां फीस थोड़ी ज्यादा है, लेकिन शिक्षक तो पूरे हैं, जबकि कई सरकारी स्कूल शिक्षकों का इंतजार कर थक चुके हैं।

नाथपा झाकड़ी प्रोजेक्ट ने भी दी रफ्तार

1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी परियोजना के निर्माण पर रामपुर में दिल्ली पब्लिक स्कूल की दस्तक हुई। इस स्कूल में जहां परियोजना निर्माण में लगे इंजीनियर्स के बच्चों ने शिक्षा ग्रहण की, वहीं अन्य बच्चों के लिए भी रामपुर में शिक्षा के नए अवसर शुरू हुए। वहीं, वर्ष 2015 में रामपुर परियोजना के परिधि क्षेत्र में डीएवी की नई शाखा खोली गई, जिसमें सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

टॉप-10 में चमकता है नाम….

वार्षिक परीक्षा परिणामों में रामपुर के प्राइवेट स्कूल हमेशा आगे रहे हैं। इतना ही नहीं वर्ष 2018 में प्रदेश स्तर पर दसवीं की परीक्षा में टॉप-10 में तीन अहम स्थान पाने वाला स्कूल रामपुर का सनशाइन रहा। यही कारण है कि अच्छे परीक्षा परिणाम देकर निजी स्कूल अभिभावकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर वर्ष 2015 में खुले सिगमा स्कूल ऑफ साइंस ने भी कम समय में बेहतरीन परीक्षा परिणाम देकर अपनी अलग पहचान बना दी है, जबकि मिस्टर इंडिया चुने गए रवि ठाकुर भी रामपुर के निजी स्कूल कमला मेमोरियल स्कूल से पढ़े हैं। वहीं, सीबीएसई में स्पिं्रगडेल स्कूल ने रामपुर में अपनी अलग पहचान बना दी है। 1993 में चंद बच्चों से शुरू हुआ सनशाइन स्कूल आज पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बना रहा है। इस स्कूल के तीन बच्चे दसवीं की परीक्षा में टॉप टेन में आए, जो एक बड़ी उपलब्धि रही। एक साथ बोर्ड की परीक्षा में तीन अहम स्थान पाना जहां स्कूल प्रबंधन के लिए बड़ी बात थी, वहीं पूरे प्रदेश में सनशाइन स्कूल ने अपनी पहचान बनाई, जो अभी भी कायम है।

कम सुविधाओं में भी कर रहे कमाल

रामपुर में गिने चुने प्राइवेट स्कूलों के अलावा अन्य स्कूलों में भवनों व अन्य सुविधाओं की दरकार है। बावजूद इसके प्राइवेट स्कूल बेहतरीन परीक्षा परिणाम देने में लगातार अपनी पहचान बनाते जा रहे हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों से जो अभिभावक रामपुर आ रहे हैं, उनकी पहली पसंद ही प्राइवेट स्कूल बन रहे हैं, चाहे वहां बेहतर सुविधा हो या न हो। पांच साल के रिकार्ड में प्राइवेट स्कूलों ने प्रदेश स्तर पर डंका बजाया है।

रामपुर शहर में स्थापित स्कूल

सनशाइन स्कूल, रामपुर (1994) — 600 छात्र

कमला मेमोरियल स्कूल (1992) — 300 छात्र

साई विद्या स्कूल (2001) — 200 छात्र

स्पिं्रगडेल स्कूल (2003) — 1070 छात्र

सिगमा स्कूल ऑफ साइंस (2015) — 250 छात्र

डीएवी स्कूल, रामपुर (1985) — 670 छात्र

आर्य पब्लिक स्कूल (2017) — 250 छात्र

संस्कार स्कूल (2011) — 120 छात्र

पद्म वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रामपुर (1919) — 768 छात्र

कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, रामपुर (1928) — 800 छात्र

क्या कहते हैं एजुकेशन एक्सपर्ट

एक समय था, जब रामपुर में गिने-चुने शिक्षण संस्थान ही थे, लेकिन आज दर्जनों शिक्षण संस्थान शिक्षा का उजाला फैला रहे हैं। शैक्षणिक संस्थानों का लगातार प्रयास रहता है कि रामपुर में शिक्षा का स्तर बेहतर हो और यहां के युवाओं को घरद्वार ही क्वालिटी एजुकेशन मिल सके

डा. मुकेश शर्मा, शिक्षाविद

इंस्टीच्यूट्स का हमेशा यही उद्देश्य रहता है कि बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिल सके। छात्रों को ऐसी शिक्षा दी जा सके, ताकि वे भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में खुद को साबित कर सकें। रामपुर में अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षक लगातार प्रयासरत हैं

सुषमा मखैक, प्रिंसीपल

रामपुर शिक्षा का हब बनकर उभरा है, जिसकी मुख्य वजह यह है कि रामपुर में स्कूल बेहतरीन परीक्षा परिणाम दे रहे हैं। यहां से उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राएं अलग-अलग क्षेत्र में अपने परिजनों का नाम रोशन कर रहे हैं। यहां के स्कूलों से उत्तीर्ण हुए छात्र आज मेडिकल, शिक्षा व सेना में बेहतरीन सेवाएं दे रहे हैं

नीना शर्मा, शिक्षाविद

रामपुर शिक्षा का केंद्र बन चुका है। यहां चार जिलों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अभिभावकों को विश्वास है कि अगर उनका बच्चा रामपुर में शिक्षा ग्रहण करेगा, तो वह अवश्य ही आगे बढ़ेगा। इस मानसिकता के साथ अभिभावक यहां के शिक्षण संस्थानों पर विश्वास प्रकट कर रहे हैं

पीपी दुल्टा, शिक्षाविद

रामपुर में शिक्षा ग्रहण करने के लिए युवाओं के पास बेहतरीन विकल्प हैं। यहां सरकारी स्कूल जहां बेहतरीन कार्य कर रहे हैं, वहीं निजी स्कूलों के परीक्षा परिणाम अच्छे हैं। सरकारी स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं

संजय नेगी, शिक्षाविद

खुश हैं अभिभावक

शहरों के सरकारी-प्राइवेट स्कूल, दोनों में शिक्षकों के सभी पद भरे होते हैं। ऐसे में जो भी छात्र यहां पढ़ता है, उसे हर विषय का ज्ञान संबंधित शिक्षक से मिलता है। जिस कारण उनका भविष्य अवश्य ही सुरक्षित होता है। यही कारण है कि अधिकतर अभिभावक शहर में आकर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

राजीव कुमार

शहर में स्थित स्कूलों का स्तर बेहतर है। अच्छे परीक्षा परिणाम में हर स्कूल प्रबंधन गंभीर है। उनका बच्चा पढ़ाई में अव्वल आए, अभिभावकों की यह चिंता शहरी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने से काफी हद तक कम हो जाती है।

मोंटी मेहता

शहर में बच्चों को जहां बेहतरीन शिक्षा मिलती है, वहीं दूसरी ओर वे अन्य गतिविधियों, जैसे खेल व अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों में भी अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं। वहीं, शहरी स्तर पर स्कूलों में स्टाफ पूरा होना भी अहम है

नीरज गौतम

गांव में शिक्षक न होना बच्चों की शिक्षा पर विपरीत असर डाल रहा है, जबकि शहर के स्कूलों में शिक्षकों के सभी पद भरे होते हैं, जो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं करते। साथ ही शहर में रह रहे बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए खासे जागरूक होते हैं।

संजय मेहता

आज के समय में शिक्षा के क्षेत्र में कंपीटीशन काफी बढ़ गया है। गांव स्तर में शिक्षकों की कमी से जहां बच्चे संबंधित विषय का ज्ञान ही प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, तो अन्य विषयों के बारे में जानना उनके लिए मुश्किल है। ऐसे में शहर शिक्षा का बेहतरीन विकल्प बन गए हैं।

यशवंत शर्मा

आलीशान हैं सरकारी स्कूलों के भवन

रामपुर में जितने भी सरकारी स्कूल हैं, उनके भवन आलिशान हैं। क्लासरूम बेहतर हैं। सुविधाएं भरपूर हैं, बावजूद इसके सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम सुविधाओं के अनुरूप नहीं हैं। आलम यह है कि यहां पढ़ रहे बच्चे उत्तीर्ण तो हो रहे हैं, लेकिन प्रदेश भर में कोई अहम स्थान नहीं ला पा रहे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी सरकारी स्कूल भवनों की स्थिति काबिलेतारीफ है, लेकिन शिक्षक न होने से वहां भी परिणाम संतोषजनक नहीं हैं। रामपुर में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां के भवन कालेज स्तर की सुविधाओं को मात देते हैं, जिसमें अहम तकलेच स्कूल, मझेवटी स्कूल, देवठी स्कूल, नोगली स्कूल, दत्तनगर स्कूल, झाकड़ी स्कूल शामिल हैं।

1985 से शुरू हुआ निजी स्कूलों का सफर

रामपुर में निजी स्कूलों का सफर 1985 से शुरू हुआ। सबसे पहले यहां डीएवी स्कूल की स्थापना हुई। मुख्य बाजार में खुला यह स्कूल शुरू में गिने चुने बच्चों से शुरू हुआ, जिसके बाद इस स्कूल की संख्या बढ़ती चली गई। इसके बाद 1990 से रामपुर में कई निजी स्कूलाें ने अपनी पकड़ बनानी शुरू की। आलम यह हो गया कि निजी स्कूलों की तरफ अभिभावकों का रुझान बढ़ता चला गया। पहले शहर से तो धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने भी निजी स्कूलों की तरफ अपना रुख कर दिया। अब दर्जनों निजी स्कूल रामपुर में सेवाएं दे रहे हैं।

बुशहर रियासत में शिक्षा का एकमात्र जरिया था वीरभद्र सिंह के पिता का पद्म स्कूल

पद्म वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रामपुर का नाम पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पिता के नाम पर रखा गया, जिसकी खास वजह यह रही कि यह स्कूल राजा पद्म सिंह ने वर्ष 1909 में खोला था। उस समय मात्र यही एक स्कूल था, जहां बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे। आजादी से पहले खुला यह स्कूल बुशहर रियासत में शिक्षा का एक मात्र जरिया रहा। यहां दूर-दूर से शिक्षा ग्रहण करने के लिए युवा आते थे। यह कह लें कि पद्म स्कूल ही रामपुर में शिक्षा को मजबूत करने का एकमात्र संस्थान रहा है। आज भी यह स्कूल अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। इस स्कूल से न जाने कितने ही युवा पढ़कर विभन्न क्षेत्रों में सेवाएं दे चुके हैं। जहां इस स्कूल से पढ़े युवाओं ने सरकारी नौकरी में ऊंचे मुकाम पाए, वहीं राजनीति में भी कई युवाओं ने अपनी पहचान बनाई। रामपुर से छह बार मंत्री रहे सिंघीराम भी इसी स्कूल में पढ़े थे। 


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