रोल नंबर रोकने के फैसले से नाराज

By: Feb 24th, 2020 12:02 am

चंडीगढ़ – फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन एवं निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड के सचिव की ओर से मार्च 2019 में हुए बोर्ड परीक्षा के दौरान ड्यूटी में गैरहाजिर रहने वाले टीचर्स की सज़ा एक साल बाद प्रदेश के लाखों छात्रों को देने के आदेश की कड़ी आलोचना की है। श्री शर्मा ने रविवार को कहा कि बोर्ड सचिव ने आदेश जारी करके उन सभी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के रोल नंबर रोक दिए हैं, जिन स्कूलों की टीचर्स ने मार्च 2019 में हुए बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी नहीं दी। फैडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा, सचिव राम अवतार शर्मा तथा अन्य पदाधिकारियों ने जारी एक संयुक्त बयान में सवाल उठाया कि आखिर भिवानी बोर्ड के अधिकारी किस नियम व कानून के तहत टीचर्स के ड्यूटी न देने पर छात्रों के रोल नंबर रोककर लाखों छात्रों को परेशान कर रहे हैं, जबकि तीन मार्च से इन छात्रों के बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं।   उन्होंने कहा कि शिक्षा बोर्ड का एक साल बाद इस तरह की कार्यवाही करना उचित नहीं है। टीचर्स ने मार्च 2019 में हुए एग्जाम के दौरान ड्यूटी नहीं दी तो बोर्ड अधिकारियों को एग्जाम के बाद तुरंत लैटर जारी कर इस संबंध में स्कूलों से पूछना चाहिए था, लेकिन अब एक साल बाद छात्रों के एग्जाम की तारीख घोषित हो चुकी है तो छात्रों के रोल नंबर रोकना असंवैधानिक व गैरकानूनी है। बोर्ड ने केवल रूपए एकत्रित करने के लिए करीब 1000 स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के रोल नंबर रोक दिए हैं, तो वहीं अब इन स्कूलों पर दबाव बनाकर उनसे 5000 रूपए जुर्माना मांगा जा रहा है, जबकि एक्ट में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है। श्री शर्मा ने कहा कि टीचर्स शिक्षा बोर्ड द्वारा डयूटी लगाए जाने के बाद दिलचस्पी नहीं दिखाते, क्योंकि कई सालों से जिन भी टीचर्स ने एग्जाम डयूटी दी है, बोर्ड की तरफ से उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया गया। यदि बोर्ड मानदेय दे देता तो निश्चित तौर पर टीचर्स में डयूटी के प्रति खुद ही दिलचस्पी बन जाती। एक तरफ तो सरकार दावा करती है कि छात्रों पर किसी तरह का मानसिक दबाव नहीं डाला जाएगा, जबकि हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा छात्रों के रोल नंबर रोककर स्टूडेंटस को मानिसक प्रताडऩा दी है। इससे छात्र दबाव में हैं।  उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ हरियाणा शिक्ष बोर्ड भिवानी द्वारा किए जा रहे व्यवहार को लेकर फैडरेशन छात्रों की तरफ से बाल कल्याण आयोग व मानव अधिकार आयोग को भी शिकायत करेगा कि आखिर टीचर्स द्वारा डयूटी न देने पर किस नियम के तहत छात्रों के रोल नंबर कैसे रोके जा सकते हैं और छात्रों को शिक्षा के अधिकार से कैसे वंचित कर सकते हैं। बोर्ड लाखों छात्रों के भविष्य के साथ कैसे खिलवाड़ कर सकता है।


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