शराब ब्रिकी से राजस्व जुटाना कितना सही

By: Feb 19th, 2020 12:05 am

सुखदेव सिंह

लेखक, नूरपुर से हैं

जयराम सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार अब दोपहर बारह बजे से लेकर देर रात दो बजे तक देवभूमि के रेस्टोरेंट, होटलों, बीयर बार, ढाबों, और दुकानों पर शराब उपलब्ध रहेगी। कहने का मतलब साफ  है कि अब गांवों के गली-मोहल्ले में सिर्फ  सोमरस की दुकानें हमेशा सजी मिलेंगी…

जहर ‘शराब’ बिक्री से जुटाया गया राजस्व हराम होता यह बात हमें कभी नहीं भूलनी होगी। हराम की कमाई से कभी किसी का भला भी हो सकता है? देवभूमि में बढ़ते ड्रग्ज कारोबार पर अंकुश लगाए जाने की बजाय अब प्रदेश सरकार की ओर से राजस्व बढ़ोतरी के लिए आबकारी नीति में बदलाव किए जाने को आखिर क्या समझा जाए? प्रदेश सरकार क्या सच में नशों की गर्त में डूबते हिमाचल प्रदेश के युवाओं को बचाना चाहती है? जयराम सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार अब दोपहर बारह बजे से लेकर देर रात दो बजे तक देवभूमि के रेस्टोरेंट, होटलों, बीयर बार, ढाबों, और दुकानों पर शराब उपलब्ध रहेगी। कहने का मतलब साफ  की अब गांवों के गली-मोहल्ले में सिर्फ  सोमरस की दुकानें हमेशा सजी मिलेंगी। सरकार के खाली पड़े खजाने को भरने का विकल्प क्या सिर्फ शराब की बेतहाशा बिक्री देवभूमि में करके युवाओं को नशों की गर्त में धकेलना ही शेष है। शराब  पर ज्यादा राजस्व मिलेगा तो इसकी बिक्री सरेआम और ड्रग्ज पर सिर्फ  माफिया ही मालामाल हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद  उसकी संपत्तियां क्यों जब्त नहीं कि जा रही हैं? हिमाचल प्रदेश में आपराधिक घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं जिसके पीछे नशों में डूबती पहाड़ की जबानी का प्रमुख कारण है। पुलिस महानिदेशक भी इस बात को स्वीकार चुके की ड्रग्ज तस्करों से प्रदेश की जेलें भर चुकी और अपराध भी बढ़ा है। प्रदेश सरकार देवभूमि को नशा मुक्त बनाए जाने के लिए प्रयासरत, मगर इसके बावजूद इस माफिया पर पूरी तरह नियंत्रण न पाया जाना चिंताजनक है। ड्रग्ज माफिया पैसों के दम पर कानून से खिलवाड़ न कर सके जरूरी की अन्य जिलों की पुलिस भी कुल्लू पुलिस से सीख लेकर नशा माफिया की संपत्तियों को जब्त करना अब शुरू करे। जब जहर बेचने बाले कारोबारियों को पता चलेगा कि पुलिस ने अब गैर-कानूनी तरीके से अर्जित की गई संपत्तियों को जब्त करना शुरू कर रखा तो ऐसे में उनकी कमर खुद ही टूटकर रह जाएगी। ड्रग्ज पैडलर की संपत्तियों को सीज किए जाने की शुरुआत कुछ साल पहले जिला कांगड़ा से हुई  तो इस माफिया में हड़कंप मचाकर रह गया था। जिला कांगड़ा को ड्रग्ज मुक्त बनाने निकले उस एसपी के साथ सरकारों ने ऐसा सौतेला व्यवहार करके उसे आज गुमनाम बनाकर रख दिया है। समाज को नशा मुक्त बनाने निकले उस जांबाज पुलिस अधिकारी को सम्मानित किए जाने की बजाय सरकारों ने उसका तबादला करके खुद ड्रग्ज पैडलर का हिमायती होने का प्रमाण भी दिया था। अब जिला कुल्लू पुलिस के आला अधिकारियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा तो सच में लोगों का कानून-व्यवस्था से विश्वास पूरी तरह उठ जाएगा। कानून लचीला होने की वजह से नशा माफिया पर नियंत्रण पाना अकेले पुलिस काम नहीं रह गया समाज को भी अब अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए आगे आना होगा।

हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होने की वजह से आजकल विदेशी लोगों के लिए नशा तस्करी किए जाने का एक बेहतरीन अड्डा बनकर उभर रहा है। देवभूमि में धार्मिक आस्था रखने वाले श्रद्धालु मंदिरों में अपना शीश नवाजने वर्ष भर आते हैं। कुछेक विदेशी लोग देवभूमि में घूमने बहाने आकर कई तरह के नशीले पदार्थ बेचकर समाज को बिषैला बना रहे हैं। पुलिस को अब पर्यटकों की गतिविधियों पर भी अत्यधिक फोकस किए जाने की जरूरत जिससे उनके मंसूबों को नाकाम किया जा सके। कानून गरीब लोगों के लिए आफत और गैर-कानूनी काम करने वालों का कवच बनकर रह गया है। देवस्थली को ड्रग्ज मुक्त बनाए जाने के लिए सर्वप्रथम गांव स्तर पर बिकने बाली शराब की दुकानों पर तालाबंदी करनी चाहिए। गांवों में शराब तस्करों की भरमार से युवा पीढ़ी नशों की चंगुल में फंसती जा रही है। घरों की बगल में जब बड़ी आसानी से शराब की बोतलें उपलब्ध हो जाए तो ऐसे में कौन अभिभावक अपने लाड़लों को इस जहर से बचाकर रख सकता है।

गली-मोहल्ले में चल रही शराब की दुकानों पर बेरोकटोक देर रात तक शराब परोसी जाना हमारी बिगड़ती कानून-व्यवस्था बारे बतलाता है। मौजूदा हालात में लोग शराब के आदी बनकर अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पड़ोसी राज्यों की नकली शराब देवभूमि में परोसी जाने से आए दिन लोग बेमौत मरते जा रहे हैं। कानूनी पेचिदगियों की वजह से पुलिस कर्मचारी भी ऐसे केसों में बिना वजह कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने की बजाय नाममात्र का केस दर्ज करके अपनी जान छुड़ा लेते आ रहे हैं। पुलिस शराब, चरस और ड्रग्ज की जितनी मात्रा पकड़ती क्या उसी आधार पर तस्करों खिलाफ  केस दर्ज किए जाते अब गौर करना होगा? पुलिस नाममात्र नशीले पदार्थ बरामद किए दर्शाकर कोर्ट में चालान पेश कर देती है। आपसी निजी रंजिश की वजह से अनजान लोग पुलिस को नशा तस्करी होने की सूचना फोन पर देते हैं। किसी के घर या दुकान में तलाशी लिए जाने से पहले कोर्ट की ओर से सर्च वारंट पुलिस के पास होना कानून की नियमावली में शामिल है। अगर कोर्ट का सर्च वारंट नहीं तो मौके पर दो गवाह मिलने से पुलिस अपनी कार्यवाही को अंजाम दे सकती है। पुलिस आखिर नशा तस्करों को गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश कर देती है। एक तरफ युवा वर्ग राजनीति का सहारा लेकर समाज में नशीले पदार्थों की तस्करी किए जाने पर जोर दिए जा रहे हैं। स्कूल, कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाई जाए, बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों की सही जांच होनी चाहिए। समाज को नशा मुक्त बनाना सिर्फ  पुलिस का ही काम नहीं रह गया अगर अपनी आगामी पीढि़यों को नशों के चंगुल से बचाना तो सभी को पुलिस का साथ देना चाहिए। माना कि सरकारों को शराब की बिक्री से ज्यादा राजस्व मिलता, मगर युवा पीढ़ी को बचाने के लिए अब उसे आय के अन्य स्रोत तलाशने होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक विधानसभा चुनावों का बिगुल बजने दौरान देवभूमि को नशा मुक्त बनाने का एलान कर चुके आखिर वह दिन कब आएगा?


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