शिव के जयकारों से गूंजे सोलन के मंदिर

जिलाभर में धूमधाम से मनाया महाशिवरात्रि का पर्व; मंदिरों में सुबह से लगी भक्तों की लंबी-लंबी कतारें, भगवान शिव के दर्शन कर लिया आशीर्वाद

जिलाभर में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाई गई। भक्त पूरे दिन व्रत कर भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना कर रहे हैं। महाशिवरात्रि तीन शब्दों से मिलकर बना है- महा, शिव और रात्रि। हिंदुओं में यह पर्व काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। सोलन जिला में भी सुबह से ही महिलाएं और पुरुष शिवालयों में जाकर भगवान शंकर जी को भांग, धतुरा, दूध के अर्ग के साथ-साथ भगवान को फूल चढ़ाए। शिव मंदिर आंजी, शिव मंदिर सलोगड़ा, पट्टा को मोड़ मंदिर, कसौली चौक शिव मंदिर सहित जिला के विभिन्न शिवालयों पर भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है। शिवरात्रि के पवन पर्व पर सोलन के एशिया के सबसे ऊंचे जटोली मंदिर सहित सभी शिवालय मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खडे़ रहे। शिवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों द्वारा शिवजी को भांग, बिल्वपत्र, धतूर, मदार, भस्म अर्पित किया। शिव का अर्थ कल्याण होता है, इसलिए विश्व के कल्याण हेतु शिव विषपान के साथ-साथ समस्त हानिकारक वस्तु स्वयं ग्रहण करके संसार को अमृत प्रदान करते हैं। इसी कारण से शिव को धतूर आदि अर्पित किया जाता है। जिला सोलन के जटोली शिव मंदिर में जहां शिव भक्त हर क्षण अपने भोले नाथ के होने की अनुभूति करते हैं। सोलन से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर जटोली शिव मंदिर स्थित है। दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल का समय लगा था। शिव भक्तों में इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था देखने को मिलती है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन व पूजन के लिए आते हैं। जटोली शिव मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है, मंदिर के ऊपर 11 फीट ऊंचे स्वर्ण कलश की स्थापना भी की गई है, जिस कारण अब इसकी ऊंचाई 122 फीट आंकी जाती है। मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव ने यहां पर कुछ समय बिताया था। कहा जाता है कि एक समय सोलन के लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ा था। इसे देखते हुए स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और त्रिशूल के प्रहार से जमीन से पानी निकाला। तब से लेकर आज तक जटोली में पानी की समस्या नहीं है। लोग इस पानी को चमत्कारी मानते हैं। मान्यता है कि इस जल में किसी भी बीमारी को ठीक करने के गुण हैं।