सरकार के खिलाफ एबीवीपी का हल्ला क्यों

अपनी ही सरकार के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आंदोलन बने पहेली

धर्मशाला –अपने ही विचार की सरकार होने के बावजूद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों एवं कालेजों में इतना बड़ा आंदोलन क्यों खड़ा कर दिया है। क्या अपनी ही सरकार में संगठन की उपेक्षा हो रही है या छात्रों की समस्याओं की ओर सरकार ध्यान नहीं दे पा रही है। विरोधी छात्र संगठन शांत हैं, लेकिन एबीवीपी बड़े आंदोलन का आगाज कर सरकार को सीधे-सीधे चुनौती दे रही है। विश्वविद्यालयों में ताले तक जड़ दिए हैं। छात्र तो छात्र व शिक्षक भी भवन में एंट्री तक नहीं मार  पा रहे हैं। मामला यहीं नहीं थमने वाला है। आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र होगा। केंद्रीय विश्वविद्यालय में ताले जड़ने और विश्वविद्यालय प्रशासन को कैंपस में न घुसने देने के बाद विद्यार्थी परिषद कुलपतियों का घेराव करने सहित अपने आंदोलन को जनता के बीच ले जाते हुए सरकार के खिलाफ पर्चे बांटेगी। इतना ही नहीं, मंत्रियों एवं विधायकों का भी घेराव किया जाएगा। एबीपीवी के प्रदेश संगठन मंत्री कौल नेगी का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे  प्रदेश के सबसे बड़े शैक्षणिक संस्थान में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है, न तो छात्रों को बैठने की व्यवस्था है और न ही अन्य सुविधाएं अभी तक भवन निर्माण न हो पाना भी छात्रों के हितों से कुठाराघात है। ऐसा ही हाल मंडी के कलस्टर विश्वविद्यालय का है, जहां विवि के नाम पर कुछ नहीं हो पाया है। इसके अलावा एचपीयू शिमला, नौणी विवि, कृषि विवि सहित तमाम कालेजों में छात्र समस्याओं  से जूझ रहे हैं और सरकार व प्रशासन तमाशवीन बनी हुई है। सरकार व संबंधित विवि के कुलपति इन मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगे, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।