सेना में महिला कमान अधिकारी

By: Feb 22nd, 2020 12:05 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

इसी सप्ताह सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से महिला सैन्य अधिकारियों के वकील और सरकार के बीच चल रहे केस और बहस पर उस समय विराम लग गया जब न्यायालय ने महिला अधिकारियों के पक्ष में फैसला दिया और कहा लिंग के आधार पर भेदभाव न  करते हुए महिला अधिकारियों को सेना में परमानेंट कमीशन भी मिलना चाहिए और काबिलीयत अनुसार पलटन की कमान भी। भारतीय सेना प्रमुख ने इस फैसले का स्वागत किया। भारतीय सेना में पहले से ही कभी जाति, धर्म एवं क्षेत्र के आधार पर फर्क  नहीं रखा जाता और अब लिंग के आधार पर भी कोई भेदभाव नहीं होगा। सैनिक के लिए उसकी काबिलीयत के हिसाब से सर्विस में तरक्की के रास्ते खुले रहते हैं। भारतीय सेना में पहली बार महिलाओं को 1993 में दाखिला दिया गया था और तब से सिर्फ  लड़ाकू दस्तों को छोड़ बाकी लगभग सारे सहायक दस्तों में महिलाएं बड़े ही साहस और निष्ठा से दिए गए कर्त्तव्य का निर्वहन कर रही हैं। महिलाओं को मिलने वाले परमानेंट कमीशन पर कुछ बातों पर काफी लंबे समय से बहस चल रही थी कि भारतीय सेना को अपनी नौकरी के दौरान बहुत सारे ऐसे स्थानों पर भी काम करना पड़ता है जहां पर सुविधा के नाम पर किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं होती। कभी सरहद पर दुश्मन देश के सैनिकों के खिलाफ  तो कभी अपने ही मुल्क में आतंकवादियों के खिलाफ  मौके कुछ ज्यादा आसान नहीं रहते और सबसे बड़ी मुश्किल अगर युद्ध में लड़ते हुए कोई महिला सैनिक युद्ध बंदी बन जाए तो शायद वहां मिलने वाली यातनाओं के बारे में सोच महिलाओं को परमानेंट कमीशन या कमान देने के हक की बात को विराम लगाया जाता था। दूसरा कि सेना में ज्यादातर सैनिक रूढ़ीवादी परंपराओं और विचारधारा के होने के कारण महिला को कमान अधिकारी के रूप में स्वीकार न करें, पर सरकार द्वारा दिए गए दोनों तर्कों पर न्यायालय ने सहमति न बनाते हुए फैसला महिलाओं के पक्ष में सुनाया। भारतीय सेना में पहले तो महिलाओं को सिर्फ  अधिकारी के रूप में ही दाखिला दिया गया था पर थोड़े दिन पहले सिपाही के तौर पर भारतीय सेना पुलिस की पहली महिला टुकड़ी अभी ट्रेनिंग कर रही है। आज जब औरतें दुनिया के कठिन से कठिन काम में अपना जौहर दिखा हर जगह अपनी काबिलीयत का डंका बजवा रही हैं तो यकीनन लड़कियों के हक में आया फैसला न्यायोचित एवं तर्कसंगत होने के आधार पर सर्वमान्य होना चाहिए।


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