अनिवासी भारतीय सहानुभूति के मोहताज

By: Mar 24th, 2020 12:05 am

सुखदेव सिंह

लेखक, नूरपुर से हैं

आत्मघाती इस वायरस से कोई भी इनसान कहीं भी संक्रमित हो सकता है, चाहे वह विदेश में हो या फिर हिमाचल प्रदेश में। वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से सोशल मीडिया में ऐसा प्रचार करना कि पैसा कमाने के लिए विदेश नजर आता और बीमार पड़ने पर हिमाचल प्रदेश में ऐसे लोग आकर लोगों की जिंदगियां खतरे में डालते जा रहे हैं, कहना बिलकुल शर्मनाक बात है। विदेशों में रहने वाला कौन इनसान चाहेगा कि जब वह अपने परिवार में वापस लौटे तो सभी को संक्रमित किए जाने का उपहार दे…

कोरोना वायरस रूपी दानव आज विश्व की जनता को धीरे-धीरे निगलता जा रहा है। हालात ऐसे नाजुक बन चुके हैं कि लोग अपनी सुरक्षावश घरों में दुबक कर रहने को मजबूर हो चले हैं। इस वायरस ने मेडिकल साइंस को चुनौती देकर धार्मिक स्थलों तक के द्वार बंद करवाकर करोड़ों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इनसान की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब स्वयं उसकी अपनी है, जब कोई दवा और दुआ भी काम नहीं कर रही है। प्राकृतिक आपदा की घड़ी में लोग अब एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति प्रकट करके ही अपना आत्मबल बढ़ा सकते हैं। आत्मघाती इस वायरस से कोई भी इनसान कहीं भी संक्रमित हो सकता है, चाहे वह विदेश में हो या फिर हिमाचल प्रदेश में। वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से सोशल मीडिया में ऐसा प्रचार करना कि पैसा कमाने के लिए विदेश नजर आता और बीमार पड़ने पर हिमाचल प्रदेश में ऐसे लोग आकर लोगों की जिंदगियां खतरे में डालते जा रहे हैं, कहना बिलकुल शर्मनाक बात है। विदेशों में रहने वाला कौन इनसान चाहेगा कि जब वह अपने परिवार में वापस लौटे तो सभी को संक्रमित किए जाने का उपहार दे। सोशल मीडिया में आजकल कुछेक बुद्धिजीवी लोग इस तरह अनिवासीय भारतीयों के खिलाफ पोस्टें डालकर अपनी घटिया मानसिकता का परिचय देते जा रहे हैं। एनआरआई किसी हवाई जहाज की टिकट बुक करवाता है तो उसका ऑनलाइन पंजीकरण हो जाता है। एयरपोर्ट पर प्रस्थान करते समय प्रवर्तन विभाग की ओर से व्यक्ति की आंखें स्कैन और पासपोर्ट पर भारत लौटने की एंट्री रूपी मुहर भी दागी जाती है। यह प्रक्रिया पूरी ऑनलाइन से की जाती है। ऐसे में यह कहना कि एनआरआई लोग चोरी-छिपे आकर हिमाचल प्रदेश में लोगों को संक्रमित कर रहे हैं, सरासर गलत है। कोरोना वायरस के चलते अब तो लगभग सभी एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग भी की जा रही है। मगर इसके बावजूद अगर हिमाचल प्रदेश में किसी अनिवासी भारतीय में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाते हैं तो गलती किसकी मानी जाएगी?

आज के दौर में दो चिकित्सकों की रिपोर्ट आपस में मेल नहीं खाती। ठीक वैसा ही हाल बीपी, शुगर एवं अन्य मशीनों का भी है। विदेश का वीजा हासिल करने से पहले लोगों को चिकित्सीय जांच की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। विदेश आगमन पर एक बार फिर से चिकित्सीय जांच करवाकर ही रोजगार मुहैया करवाया जाता है। अधिकतर कंपनियों की ओर से ऐसे लोगों को स्वास्थ्य इंश्योरेंस कार्ड वितरित किए जाते हैं जिससे वह अपने स्वास्थ्य की सही देखभाल ठीक से कर सकें। यही नहीं वीजा नवीनीकरण के दौरान भी गहन चिकित्सीय प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। बदलते खान-पान और रहन-सहन की वजह से शुगर, बवासीर, बीपी, बुखार, सिरदर्द, खांसी, जुकाम और गैस्टिक अल्सर तक की बीमारी से लगभग अधिकतर लोग ग्रसित हैं। आर्थिक मंदी की वजह से विदेशों में भी रोजगार के अवसर निरंतर कम होते जा रहे हैं। खाड़ी देशों की युवा पीढ़ी को रोजगार से जोड़े रखना अब यहां की सरकारों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा। कोरोना वायरस की वजह से निजी कंपनियों की मानों कमर ही टूटकर रह गई है। कंपनी प्रबंधक इस प्राकृतिक आपदा की घड़ी में कोई जोखिम उठाए जाने की बजाय लोगों को वापस घर भेजना ही उचित समझते जा रहे हैं। रोजगार छिन जाने के बाद ऐसे लोग अपने घरों की ओर रुख नहीं करेंगे तो कहां जाएंगे? बिना कारण जाने सिर्फ  यह कयास लगाना कि ऐसे लोग कोरोना वायरस नामक बीमारी से ग्रसित होकर अपने घरों को लौट रहे हैं, ऐसा समझना भी गलत होगा। एक तो रोजगार असुरक्षित, ऊपर से बैंकों की कर्जदारी तले कई भारतीय दबे हुए हैं। ऊपर से कोरोना वायरस का कहर आने से ऐसे लोग किस तरह तनाव की जिंदगी जीने को मजबूर हैं, उनके सिवाय दूसरा कोई नहीं जान सकता है। आज जरूरत विदेशों में रोजगार कमाने निकले लोगों के प्रति अपनापन जताने की और उनके परिवारजनों का सहारा बनने की है। बजाय इसके लोग उनके खिलाफ  मुंह से आग उगलते जा रहे हैं। सच्चाई यह भी कि विदेशों से वापस वतन लौटने वाले कुछेक एनआरआई लोगों में इस संक्रमण रोग के लक्षण पाए जाने की सुर्खियां पड़ने को मिल रही हैं। विदेशों में संक्रमित होने की अनेकों वजह बन सकती हैं। कुछेक कंपनियों में मजदूरों की आवासीय व्यवस्था ठीक नहीं होती। एक कमरे में अन्य देशों के लोगों के साथ ही ठहराव किया जाता है। समय अभाव की वजह से लोग अपना खान-पान भी सही नहीं रख पाते जिसकी वजह से नाममात्र बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। मांसाहारी लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है जो कि आंखें बंद करके सरेआम मात्र दिखावे के लिए ऐसे खाद्य पदार्थ निगलते जा रहे हैं। भीड़-भाड़ से भरे शॉपिंग मॉल में खरीददारी करना लोग अपना स्टेटस सिंबल बना चुके हैं। ऐसी आदत सिर्फ विदेशों में रहने वालों की नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के लोग भी अब कम शौकीन नहीं रह गए हैं। छुट्टी के दौरान पार्कों में जाकर मौज मस्ती करना, समुंदर में जाकर नहाना भी लोगों का मन बहलाने का साधन है। विश्व देशों की मुद्रा का आदान-प्रदान अपने हाथों से बिना एहतियात बरते करने से आखिर कौन संक्रामक रोगों से बच सकता है। एक एटीएम मशीन पर शाम तक विश्व के कई देशों के लोग पैसा निकालकर चलते बनते हैं। ऐसे में किस देश का व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है,पता लगाना बहुत बड़ी चुनौती है। अपने परिवार और समाज की सुरक्षा की चिंता करते हुए सरकारों के दिशा-निर्देशों का पालन करना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य है।


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