एक साल में 2381 बच्चे किए रेस्कयू

डीजीपी मनोज यादव बोले, हरियाणा पुलिस के साथ एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट भी दे रही अहम योगदान

चंडीगढ़ – हरियाणा पुलिस ने वर्ष 2019 के दौरान ऐसे 2381 बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया है, जो किसी न किसी वजह से अपने परिजनों से बिछड़ गए थे। इन लापता बच्चों में 1150 लड़के और 1231 लड़कियां शामिल हैं। इनमें से कुछ ऐसे बच्चे भी थे जो काफी लंबे समय से अपने परिजनों से बिछडे हुए थे। पुलिस महानिदेशक डीजीपी मनोज यादव ने बताया कि अपने परिवार से बिछुड़े या घर से लापता हुए बच्चों का पता लगाकर उन्हें उनके घरवालों को सौंपने में भी पुलिस अहम भूमिका निभा रही है। 2019 में कुल मिलवाए गए बच्चों में सेए 1929 को जिला पुलिस टीमों द्वारा परिजनों से मिलवाया गया तथा 452 गुमषुदा बच्चों को राज्य अपराध शाखा की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग युनिट द्वारा परिजनों के सुपुर्द किया गया। इस नेक काम में जिला पुलिस के साथ-साथ एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग युनिट भी अहम योगदान दे रही है।  डीजीपी ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लापता बच्चों का पता लगाकर उन्हे उनके परिवार से मिलवाना है ताकि बाल तस्करी को रोकने के साथ.साथ ऐसे बच्चों को भीख मांगने और अन्य असामाजिक गतिविधियों में धकेलने से बचाया जा सके।  इस अभियान के तहत पुलिस की टीमें रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और धार्मिक स्थलों जैसे सार्वजनिक स्थानों व आश्रय गृह जैसी संस्थाओं पर जाकर ऐेसे बच्चों की तलाश करती हैं, जो किसी कारण अपने माता-पिता व परिवार से अलग हो गए हों। उन्होंने कहा कि हमारी प्रशिक्षित कर्मियों की टीम बेहद गंभीरता से काम करते हुए लापता बच्चों की काउंसिलिंग कर आवश्यक जानकारी जुटाते हुए सभी औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें उनके परिजनों से मिलवाती हैं।   हरियाणा पुलिस द्वारा महिला और बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, बाल कल्याण परिषद और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से लापता बच्चों को फिर से परिवार से जोडने के लिए यह महत्वपूर्ण अभियान चलाया जा रहा है।  वर्ष वार आंकड़ों का ब्योरा देते हुएए डीजीपी ने कहा कि राज्य पुलिस ने वर्ष 2018 में 2409 लापता बच्चों को तलाष कर परिवार को सौंपा। इसी प्रकार, साल 2017 में 2343 बच्चों, वर्ष 2016 में 2123 और वर्ष 2015 में 2.287 बच्चों को फिर से घरवालों से मिलवाया।