कोरोना ने हिलाया चंडीगढ़ प्रशासन

By: Mar 23rd, 2020 12:02 am

दो सीनियर अधिकारी; उनके पारिवारिक सदस्य किए क्वारनटाइन-आइसोलेट, शहर में डर का माहौल

चंडीगढ़   – पिछले गुरुवार को चंडीगढ़ में कोरोना वायरस के पहली पीडि़त युवती जो लंदन से लोटी थी के संपर्क में आने वालों में चंडीगढ़ प्रशासन के एक अधिकारी के बेटा भी था। सूत्रों के अनुसार शहर की 23 वर्षीय युवती जो कि  लंदन से चंडीगढ़ पहुंची थी, उसके संपर्क में आने की वजह से चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी के अधिकारी एनपी शर्मा के बेटे को जीएमसीएच-32 के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। खबर लिखे जाने तक उनमें कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हुई है और रिपोर्ट आनी बाकी है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी के जीएम एनपी शर्मा ने भी खुद को 14 दिन के लिए होम आइसोलेट कर लिया है, जबकि उनके बेटे को जीएमसीएच-32 के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। एनपी शर्मा का बेटा उनके  साथ ही रहता था, इसलिए उन्हें भी क्वारनटाइन किया गया है। उधर, नगर के अधिकारियों में इस बात को लेकर भी दहशत पैदा हो गया है, क्योंकि बीते दिनों में एनपी शर्मा कई अधिकारियों और लोगों से मिले हैं। उधर, चंडीगढ़ प्रशासन के स्वास्थ्य सचिव व गृह सचिव अरुण कुमार गुप्ता के पूरे परिवार को भी 14 दिन के लिए होम क्वारनटाइन किया गया है। शुक्त्रवार को उनकी बेटी अमेरिका से लौटी हैंए जिनके संपर्क में आने के बाद पूरे परिवार को सरकार के आदेशानुसार होम क्वारनटाइन किया गया है। जानकारी के अनुसारए अरुण कुमार गुप्ता की बेटी शुक्रवार रात अमेरिका से लौटी हैं। हालांकि उनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए गए हैं, लेकिन भारत सरकार के आदेशानुसार विदेश से आने वाले या उनके संपर्क में आने वाले सभी व्यक्तियों को क्वारनटाइन करना अनिवार्य है, इसलिए पूरे परिवार को 14 दिन के लिए आइसोलेट कर दिया है। अगर इन दिनों में कोई लक्षण सामने आते हैं तो जांच के लिए सैंपल लिए जाएंगे। वहींए सूत्रों के अनुसार, हरियाणा सरकार के कुछ सीनियर अफसरों को भी चंडीगढ़ स्थित उनके आवास पर क्वारनटाइन किया गया है। प्रशासन के अधिकारियों के बीच भी अब दहशत का माहौल है। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में कोरोना को रोकने के लिए कुछ बड़े और सख्त फैसले लिए जा सकते हैं। उधर, हैल्थ क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को आइसोलेशन के जरिए ही कम किया जा सकता है क्योंकि पीडि़त व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में आइसोलेशन ही बचाव का सबसे सही तरीका है। इस बारे में डाक्टर्स का कहना है कि सभी मरीजों को विशेष ध्यान यानी इंटेसिव केयर की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन सभी को एहतियातन आइसोलेट करना पड़ेगा। क्वारनटाइन में उन व्यक्तियों को रखा जाता है जिनमें बीमारी के संकेत दिख रहे हों या फिर वे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों, लेकिन वह स्वस्थ दिख रहे हों।


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