क्या लॉकडाउन नहीं बढ़ेगा?
फिलहाल यह सवाल अतार्किक लगता है। कोरोना वायरस के प्रहार अब भी जारी हैं। दुनिया भर में हाहाकार मचा है। रात-दिन गहमागहमी से गूंजते और बतियाते अमरीका के खूबसूरत शहर न्यूयॉर्क में मरघट-सी खामोशी है। अमरीका, स्पेन, इटली, ब्रिटेन और फ्रांस सरीखे विकसित देशों में कोरोना का विकास-चक्र कम नहीं हो पा रहा है, थमने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। यदि उन आंकड़ों की तुलना में भारत की स्थिति का विश्लेषण करें, तो लगता है मानो कोई दैवीय शक्ति हम पर मेहरबान है! करीब 138 करोड़ की आबादी वाले देश में रविवार दोपहर तक कोरोना संक्रमण के करीब 35,000 टेस्ट ही किए जा सके थे, लिहाजा संक्रमित लोगों की संख्या 1100 पार ही हुई है। मृत्यु का औसत भी 2-3 प्रतिदिन ही है। सोमवार की दोपहर तक 29 मरीजों ने ही दम तोड़ा था। बेशक एक-एक जिंदगी बेशकीमती है, लेकिन आपदा के दौर में मौत के आंकड़े गिनना भी अनिवार्य है, ताकि नुकसान का सही आकलन किया जा सके। बहरहाल इन आंकड़ों पर आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता, लेकिन विश्व परिदृश्य में ये काफी तसल्ली देते हैं। हम टीवी चैनलों पर लगातार प्रख्यात और अनुभवी चिकित्सकों के विमर्श सुन रहे हैं। उनका सार यही है कि भारत ने बीती जनवरी में ही प्रयास शुरू कर दिए थे, अंतरराष्ट्रीय विराम और प्रतिबंध चस्पां किए गए और अंततः 21 दिन का संपूर्ण लॉकडाउन भी लागू किया गया। चिकित्सकों और अंतरराष्ट्रीय शोध के मुताबिक, अभी 10 अप्रैल तक का समय बेहद नाजुक है। संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, लिहाजा मौतों के सिलसिले भी नहीं थमेंगे। अलबत्ता भारत में कोरोना वायरस की बढ़ोतरी गति और दर लगातार कम हो रही हैं। यानी कोरोना का प्रभाव कम होता दिखाई दे रहा है, लेकिन संक्रमण के समापन के फिलहाल कोई संकेत नहीं हैं। एक रिसर्च केंद्र की निदेशक डॉ. शमिका रवि का निष्कर्ष है कि यदि कोरोना की बढ़ोतरी दर शुरुआती दौर वाली ही होती और भारत में लॉकडाउन लागू न किया जाता, तो संक्रमितों की संख्या करीब 1700 होती! भारत में कोरोना से बीमार लोगों के ठीक होने की संख्या भी अच्छी है। अभी तक 102 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं और अधिकतर घर लौट चुके हैं। अमरीका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन आदि देशों में संक्रमण की दर अब भी भयावह स्तर पर है। बहरहाल कोरोना के संदर्भ में इलाज, देखभाल और क्वारंटीन में रखना आदि महत्त्वपूर्ण है, लेकिन लॉकडाउन ने भी सकारात्मक भूमिका निभाई है। इस संदर्भ में कैबिनेट सचिव राजीव गाबा का बयान बेहद राहत वाला कहा जा सकता है। उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन 14 अप्रैल से आगे बढ़ाने का फिलहाल विचार नहीं है। इस संबंध में तमाम खबरें अफवाह ही हैं। यह सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों और चिकित्सकों का भी मानना है कि देश में लॉकडाउन लंबे समय तक संभव नहीं है, क्योंकि उसके नकारात्मक असर चौतरफा हैं। इसके मानसिक प्रभाव भी हैं, लिहाजा लोग अन्य बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं। यदि 10 अप्रैल तक कोरोना के विस्तार और विकास के संकेत अनुमानों के मुताबिक मिलते हैं, तो लॉकडाउन में ढील देकर भी एक अनुशासन बनाए रखा जा सकता है। अब मौसम भी गरम होने लगेगा। हालांकि ऐसा कोई निश्चित और साबित शोध नहीं है कि तापमान का कोरोना पर कितना असर पड़ता है, गरमी बढ़ने पर वायरस खत्म होने लगता है या नहीं, लेकिन कई शोध-पत्र सामने आए हैं, जिनका निष्कर्ष है कि तापमान बढ़ने के साथ कोरोना वायरस भी हल्का कम होता है। ऐसे प्रभाव के बारे में प्रख्यात हृदयरोग विशेषज्ञ डा. नरेश त्रेहन ने भी कहा है कि तापमान 35 डिग्री से अधिक होगा, तो यह वायरस खत्म होने लगेगा। इस बीच सरकार ने यह आदेश भी जारी किया है कि जो डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ आदि 14 दिनों तक कोरोना वाले मरीज के साथ काम करेंगे, वे आगामी 14 दिन क्वारंटीन में रहेंगे। उनकी पूरी व्यवस्था अस्पताल करेंगे। यह आदेश फिलहाल 21 सरकारी अस्पतालों पर ही लागू किया गया है। बहरहाल लंबी लड़ाई है, मानव जाति और कोरोना महामारी के बीच जंग का यह दौर है। देश सरकार का ही अंतिम निर्णय मानेगा कि लॉकडाउन कब तक जारी रखा जाना है।
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