चाय उद्योग को वित्तीय पैकेज मिलने की उम्मीद

कोलकाता – चाय उद्योग ने कोरोनोवायरस संकट की वजह से चालू 21 दिन के ‘लॉकडाउन’ (बंदी) से पैदा हुई दिक्कतों से निपटने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय पैकेज की मांग की है, क्योंकि इस संकट की वजह से बागानों में उत्पादन ठप्प है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जसनकारी दी। देश में चाय उत्पादकों की सबसे बड़ी संस्था, प्लांटेशन एसोसिएशंस (सीसीपीए) की परामर्शदात्री समिति ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर इस क्षेत्र के लिए एक राहत पैकेज की मांग की है, जो पिछले पांच वर्षों में ‘गंभीर वित्तीय संकट’ के दौर से गुजर रहा है। सीसीपीए के अध्यक्ष विवेक गोयन्का ने रविवार को एक पत्र में कहा कि काम के व्यस्ततम दिनों के दौरान उत्पादन में कमी और ‘लॉकडाऊन’ के कारण मूल्य शृंखला में व्यवधान होने के मद्देनजर, चाय क्षेत्र को नकदी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इनकी वजह से मजदूरी और अन्य संबंधित दायित्वों का निर्वाह करने की क्षमता बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि हम इस संकट से निपटने के लिए सरकार से वित्तीय पैकेज और इस क्षेत्र में कार्यरत लगभग 12 लाख श्रमिकों का रोजगार सुरक्षित करने में मदद करने की अपील करते हैं। सीसीपीए ने तीन महीने के लिए श्रमिकों के खातों में प्रति सप्ताह 1000 रुपए के प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण’ के माध्यम से मजदूरी भुगतान में समर्थन करने के लिए सरकार के हस्तक्षेप की मांग की। प्लांटर्स के निकाय ने कहा कि पश्चिम बंगाल और असम के चाय श्रमिकों के लिए धन की आवश्यकता लगभग 1100 करोड़ रुपए होगी। उसने कहा कि सरकार उन्हें तीन महीने के लिए पीएफ (भविष्य निधि) के मामले में भी सहायता उपलब्ध कराये जिसका वित्तीय प्रभाव सरकार पर 145 करोड़ रुपये का होगा। चाय बोर्ड के उपाध्यक्ष अरुण कुमार रे ने कहा कि हम संकट की इस घडॅ में चाय उद्योग की समस्याओं से पूरी तरह से अवगत हैं।