‘दारू’ से हो रहा गोवंश का कल्याण

By: Mar 30th, 2020 12:01 am

शिमला – राज्य में गोवंश संरक्षण काफी महत्त्वपूर्ण मामला है। जगह-जगह बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए व उनके कल्याण को योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसके लिए सरकार गोशालाओं का भी निर्माण कर रही है। हालांकि जितना गोधन सड़कों पर घूम रहा है, उनको सहारा देने के लिए यहां उतनी गोशालाएं नहीं है। हालांकि गोसंरक्षण के लिए पर्याप्त साधन मुहैया करवाने के लिए सरकार को प्रबंध करना चाहिए। इसके लिए सरकार ने यहां पर शराब से एक रुपए प्रति बोतल का गोवंश संरक्षण के लिए रखने का निर्णय दो साल पहले लिया था, जिसके सफल नतीजे भी सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि शराब  की प्रति बोतल से एक रुपए निकालकर वर्ष 2018-19 में सरकार ने सात करोड़ 95 लाख 30 हजार 599 रुपए की राशि जमा की थी। इस साल यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है। वैसे जनवरी महीने तक जुटाई गई राशि की बात करें तो तब तक सरकार को इससे छह करोड़ 21 लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई है। अभी फरवरी व मार्च महीने की राशि इसमें जुड़नी है। वैसे पहले उम्मीद थी कि 2018-19 की तरह से सात से आठ करोड़ रुपए इस बार भी गोवंश के कल्याण के लिए मिल जाएंगे, मगर अब उम्मीद कुछ कम लग रही है, क्योंकि इस पर कोरोना का काला साया पड़ चुका है। गोवंश संवर्द्धन बोर्ड के माध्यम से सरकार इस पैसे को खर्च कर रही है। यहां पर लगातार जिलों में नई गोशालाएं खोले जाने पर जोर दिया जा रहा है, मगर इसमें अभी उतनी अधिक सफलता नहीं मिल पाई है। अभी भी हजारों की संख्या में गोधन बेसहारा घूम रहा है। इसमें एक मत यह भी है कि सरकार शराब से लेने वाले इस टैक्स को बढ़ा दे, जिसमें कोई दिक्कत नहीं दिख रही है, वहीं कुछ दूसरे प्रयास भी इस दिशा में हो सकते हैं।

पंचायतों में बनने थे गोसदन

उच्च न्यायालय ने भी हर जिला के विधानसभा क्षेत्र यहां तक की पंचायतों में भी गोशालाओं के निर्माण को कहा है। इसके लिए सरकार को जमीन की उपलब्धता भी चाहिए, जो कि नहीं हो पा रही है। साथ ही गोशाला चलाने के लिए कर्मचारी व पशुधन के लिए वहां पर खाने की उपलब्धता जरूरी है, मगर जिस तरह से सरकारी प्रयास हो रहे हैं, उससे माना जा सकता है कि यह प्रयास काम आएंगे।


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